रविकांत दुबे AD News 24
ग्वालियर | ज्योति को अपने जीवन में अंधेरा ही अंधेरा नजर आ रहा था। पति के असामयिक निधन से बेटे की पढ़ाई की बात तो छोड़ो, रोजी-रोटी तक का संकट खड़ा हो गया। ऐसे विपरीत हालातों में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन और मुख्यमंत्री पथ विक्रेता योजना ने उन्हें सहारा दिया है।
ग्वालियर जिले के ग्राम टेकनपुर निवासी श्रीमती ज्योति सविता के पति का दो वर्ष पूर्व एक दुर्घटना में निधन हो गया। परिवार के आर्थिक हालात तो पहले से ही ठीक नहीं थे। उनका 7 वर्षीय बेटा टेकनपुर स्थित बीएसएफ पब्लिक स्कूल में पढ़ रहा था। बच्चे की फीस भरें कि दो जून की रोटी का इंतजाम करें। ज्योति को कहीं से आसरा नजर नहीं आ रहा था। बचपन में ज्योति ने कपड़ों की सिलाई सीखी थी। उनकी माँ ने विदा के समय उसे एक सिलाई मशीन भी दी थी। मायके से मिली सिलाई मशीन से ज्योति ने गाँव की महिलाओं के ब्लाऊज व अन्य कपड़े सिलने शुरू किए, पर इससे इतनी आमदनी नहीं हो पाई कि परिवार का गुजारा चल जाए।
ज्योति को अपने बच्चे की पढ़ाई की चिंता सताए जा रही थी। गाँव परिवार की एक महिला श्रीमती किरण सविता ने ज्योति को स्व-सहायता समूह में शामिल होने की सलाह दी। ज्योति को यह सुझाव अच्छा लगा और वह ग्रामोदय स्व-सहायता समूह से जुड़ गईं। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित इस समूह से जुड़ने के बाद मानो ज्योति की किस्मत ही बदल गई। उन्हें समूह से आसानी से 20 हजार रूपए का ऋण मिल गया, जिससे ज्योति ने सिलाई मशीन स्टेण्ड, पीको-फॉल और सिलाई से संबंधित अन्य सामान खरीद लिया और अपने घर पर ही सिलाई का कारोबार शुरू कर दिया। इसी बीच मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर लॉकडाउन से प्रभावित ग्रामीण अंचल के छोटे-छोटे व्यवसाईयों की मदद के लिए मुख्यमंत्री पथ विक्रेता योजना शुरू हुई। ज्योति ने भी इस योजना का लाभ लेने के लिये ऑनलाइन आवेदन भर दिया। कुछ समय बाद उनके खाते में ग्राम पंचायत के बैंक ने 10 हजार रूपए डाल दिए।
पूँजी बढ़ी तो ज्योति ने अपना सिलाई का कारोबार भी बढ़ा दिया। साथ ही जनरल स्टोर का सामान बेचने का काम भी शुरू कर दिया। थोड़े से समय में ही ज्योति को 5 हजार रूपए से अधिक मासिक आमदनी होने लगी है। संकट के समय सरकार की योजनाओं से मदद पाकर ज्योति काफी खुश हैं। अपने आत्मनिर्भर बनने की दास्तां सुनाते-सुनाते उनकी आँखे भर आती हैं। ज्योति कहती हैं कि सरकार की इन योजनाओं ने हमें किसी के आगे हाथ नहीं फैलाने दिया। हमारा कारोबार जल्द ही नई ऊँचाईयाँ छुएगा।
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