(अंकुर अभियान) "खुशियों की दास्तां": दो ऐसे गाँव जहाँ के सभी लोग बन गए हैं पर्यावरण मित्र

ग्वालियर | लक्ष्मी देवी सही मायने में अपने गाँव के लिये लक्ष्मी बन गई हैं। लक्ष्मी अपने गाँव वालों को यह सब समझाने में सफल रहीं हैं कि प्रकृति के हर जीव के लिए प्राणवायु (ऑक्सीजन) से बढ़कर कोई दौलत नहीं और पेड़ों से बढ़कर प्राणवायु का कोई दूसरा स्त्रोत नहीं। फलत: पूरे का पूरा छिरेटा गाँव अंकुर अभियान से जुड़ गया है। गाँव के सभी परिवारों ने पौधरोपण को  मिशन बना लिया है। ग्वालियर जिले में छिरेटा और सोता खिरिया दो ऐसे गाँव हैं जहाँ के शतप्रतिशत परिवारों ने पौधरोपण कर वायुदूत एप पर पल्लवित होते पौधों के फोटो अपलोड किए हैं। छिरेटा व सोताखिरिया गांव ग्वालियर जिला ही नहीं सम्पूर्ण प्रदेश के लिए उदाहरण बन गए हैं।

    ग्वालियर जिले की जनपद पंचायत भितरवार के ग्राम छिरेटा में जनअभियान परिषद के वॉलेन्टियर एक दिन अंकुर अभियान के तहत वृक्षारोपण का महत्व बताने पहुँचे थे। गाँव के लोगों ने उनकी बातों पर कोई खास ध्यान नहीं दिया। पर यहाँ की निवासी श्रीमती लक्ष्मी देवी कुशवाह के भीतर तक यह बात उतर गई कि पर्यावरण संरक्षण और प्राणवायु के लिए पेड़ लगाना कितना जरूरी है। फिर क्या उन्होंने आगे आकर गत 3 जून को आम का पौधा रोपा। जनअभियान परिषद के वॉलेन्टियर की मदद से अपने फोन में डाउनलोड किए गए वायुदूत एप पर इस पौधे का फोटो भी अपलोड कर दिया। इसके लिए उन्हे प्रमाण-पत्र भी मिला। लक्ष्मी देवी अब तक एक दर्जन पौधे रोप चुकी हैं और उन्हें 5 प्रमाण-पत्र मिल चुके हैं।

लक्ष्मी से प्रेरित होकर गाँव की श्रीमती प्रेमवती व डॉ. कोमल सिंह भी इस पुनीत कार्यक्रम से जुड़ गए। धीरे-धीरे पूरा छिरेंटा गाँव अंकुर अभियान में शामिल हो गया। गाँव के सभी 86 घरों के लोग पौधे रोपने में जुटे हैं। किसी ने अपने घर के बाड़े में, किसी ने खेत की मैड़ पर तो किसी ने गाँव में खाली पड़ी जमीन पर पौधे रोपे हैं। इन सभी ने सरकार से एक भी पैसा नहीं लिया है। पौधे खुद खरीदकर लाए और पौधों को सुरक्षित करने के लिये अपने खर्चे पर घरूआ भी बनवाए हैं।

इसी प्रकार भितरवार जनपद पंचायत के ग्राम सोताखिरिया के भी सभी 108 परिवार अंकुर अभियान के तहत पौधरोपण में जुटे हैं। सोताखिरिया निवासी यतेन्द्र कुशवाह, सतेन्द्र कुशवाह, रवि व प्रशांत इत्यादि लोगों का कहना है कि पौधों के संरक्षण से हम सबको उसी प्रकार की खुशी मिलती है जैसी खुशी की अनुभूति हमें अपने बच्चों के लालन-पालन से होती है।

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