(खुशियों की दास्तां) प्रियंका की उम्मीदों को लगे लाड़ली लक्ष्मी योजना के पंख

 हितेन्द्र सिंह भदौरिया

ग्वालियर | आर्थिक रूप से कमजोर परिवार में जन्मीं प्रियंका की उम्मीदों को लाड़ली लक्ष्मी योजना ने पंख लगा दिए हैं। उसकी उम्मीदें धीरे-धीरे परवान चढ़ रही हैं। प्रियंका को अब भरोसा हो चला है कि इंजीनियर बनने का मेरा सपना जरूर साकार होगा।

   ग्वालियर शहर के आनंदनगर कांचमिल क्षेत्र की निवासी कु. प्रियंका वर्मा इस साल 11वीं कक्षा में पहुँची हैं। वह गणित व विज्ञान विषय के साथ पढ़ाई कर रही हैं। प्रियंका के पिता श्री प्रीतम वर्मा अखबार बेचते हैं और माँ श्रीमती ललिता वर्मा बीड़ी बनाने का काम करती हैं। इसी से उनके परिवार का गुजारा चलता है। प्रियंका बताती हैं कि मेरे परिवार की इतनी सामर्थ्य नहीं है कि कॉन्वेंट स्कूल की फीस भर सके। लाड़ली लक्ष्मी योजना ने मेरे माता-पिता का हौसला बढ़ाया और आज मैं सीबीएस कॉन्वेंट हायर सेकेण्ड्री स्कूल पाताली हनुमान में पढ़ रही हूँ।

   प्रियंका कहती हैं कि मैं बड़ी सौभाग्यशाली हूँ कि जिस साल मेरा जन्म हुआ उसी साल मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने लाड़ली लक्ष्मी योजना शुरू की। यह योजना आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों में जन्मीं मुझ जैसी बालिकाओं के सुरक्षित भविष्य के लिए वरदान बन गई है। लाड़ली लक्ष्मी योजना के शुरूआती वर्ष में ही प्रियंका लाड़ली लक्ष्मी बनी थीं। माता-पिता ने पाँच साल की उम्र में उनका स्कूल में दाखिला कराया। जब वह छठवीं कक्षा में पहुँचीं तो लाड़ली लक्ष्मी योजना के तहत 2 हजार रूपए की छात्रवृत्ति मिली। इसी तरह 9वीं कक्षा में पहुँचने पर 4 हजार और 11वीं कक्षा में कदम रखते ही 6 हजार रूपए की आर्थिक मदद मिली। जब प्रियंका 12वीं कक्षा में पहुँचेंगी तब फिर से सरकार 6 हजार रूपए पढ़ाई के लिये देगी। बारहवीं के इम्तिहान देते ही वह एक लाख रूपए पाने की हकदार हो जायेंगी। प्रियंका का कहना है कि सरकार की मदद मिल जाने से मेरा भाई भी अच्छे स्कूल में पढ़ाई कर पा रहा है।

पढ़ाई के प्रति अपनी बेटी प्रियंका की लगन से खुश होकर ललिता वर्मा कहती हैं कि यदि प्रदेश भर की बेटियों के मामा श्री शिवराज सिंह चौहान ने यदि लाड़ली लक्ष्मी योजना नहीं चलाई होती तो हम शायद ही अपनी बिटिया को महँगे प्रायवेट स्कूल में पढ़ा पाते। इस योजना के जरिए प्रदेश सरकार ने बेटियों के जन्म से लेकर पढ़ाई और विवाह तक का जिम्मा अपने ऊपर लिया है।


 

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