प्रदेश के 28000 गैर अनुदान प्राप्त अशासकीय शालाओं को मिली राहत

 रविकांत दुबे AD News 24

जबलपुर।  उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा पारित आदेश से प्रदेश के 28000 गैर अनुदान प्राप्त शालाओ को राहत मिली है। अशासकीय विद्यालय परिवार कटनी द्वारा  उच्च न्यायालय जबलपुर के समक्ष एक रिट याचिका दायर कर यह प्रार्थना की गई थी कि बच्चों की मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकार का अधिनियम 2009 के तहत 14 वर्ष से कम उम्र के कमजोर वर्ग के बालकों हेतु शासन द्वारा मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान किया गया है जिसमें गैर अनुदान प्राप्त शालाओ में कुल छात्र संख्या के 25 % छात्रों को गैर अनुदान प्राप्त शालाओ द्वारा मुफ्त शिक्षा प्रदान की जा रही है। उक्त छात्रों की शिक्षा में होने वाले व्यय की प्रतिपूर्ति शासन को सत्र के अंत में निर्धारित दर पर शालाओ को भुगतान किये जाने का भी प्रावधान है परंतु शासन द्वारा वर्ष 2017 से अबतक उक्त भुगतान नहीं किया है। याचिका में यह भी व्यक्त किया गया है कि वर्तमान कोविड काल में उक्त राषि न मिलने से तथा शालाओ को शिक्षण शुल्क के अतिरिक्त अन्य शुल्क सामान्य छात्रों से न लेने के दिशा निर्देषों के कारण गैर अनुदान प्राप्त अशासकीय शालाओ घोर वित्तीय संकट से गुजर रही हैं। याचिकाकर्ता संस्था ने तथा उसके सदस्यों ने शासन को लगातार इस आशय के पत्र लिखे हैं कि उनको देय राशि का भुगतान शीग्र करें परंतु शासन द्वारा इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है। शासन द्वारा अगस्त 2020 में प्रकरण की सूचना मिलने के बाद भी अभी तक याचिका का कोई प्रतिउत्तर भी नहीं दिया था। माननीय न्यायाधीश  विशाल घगट की एकल पीठ द्वारा प्रकरण में संजीदगी से विचार कर मध्य प्रदेश शासन को इस आशय के निर्देश दिए हैं कि याचिकाकर्ता द्वारा दिये गए प्रतिवेदन तथा आदेश के साथ संलग्न किये जाने वाले प्रतिवेदन पर आदेश मिलने के तीस दिवस के अंदर विधि अनुसार कार्यवाही करें।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्तागण दीपक पंजवानी राजेश पंजवानी एवं नेहा भाटिया पैरवी कर रहे हैं। उक्त आदेश पारित होने से प्रदेश के लगभग 28000 गैर अनुदान प्राप्त अशासकीय शालाओ को राहत मिली है।


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