प्रधानमंत्री के मन की बात जेल में बंद कैदियों के साथ सुनी जनप्रतिनिधियों ने


ग्वालियर | प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की रेडियो के माध्यम से प्रसारित मन की बात ग्वालियर सेंट्रल जेल में लगभग 3 हजार बंदियो के साथ जनप्रतिनिधियों ने भी सुनी। इस अवसर पर प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, सांसद श्री विवेक नारायण शेजवलकर, भाजपा जिला अध्यक्ष श्री कमल माखीजानी, पूर्व विधायक श्री मदन कुशवाह, पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष श्री वेदप्रकाश शर्मा, पूर्व सभापति नगर निगम श्री राकेश माहोर, कार्यक्रम के संयोजक श्री धारा सिंह सेंगर, जेल अधीक्षक श्री मनोज साहू सहित बंदियो ने मन की बात सुनी।
इस अवसर पर ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कहा कि हमें अपने जीवन मे अच्छाइयों को अपनाना चाहिए कितना भी कठिन समय आये हमें कभी भी गलत रास्ते पर नहीं चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वयं की शक्तियों को पहचान कर अपना जीवन दूसरों की सेवा मे लगा दो, सेवा से बडा कोई कार्य नही होता है। आज मन की बात में प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भी यही कहा कि जिस प्रकार देश के खिलाडियों ने ओलंपिक में पदक जीते वह भी उनकी मेहनत और खेल के प्रति समर्पण से ही जीते हैं। अभी भी समय नही बीता है आप भी अपना समय अच्छे कार्यों में लगाकर परिवार व समाज मे एक मिसाल बन सकते हो।
सांसद श्री विवेक नारायण शेजलवकर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के मन की बात को महीने के अंत के रविवार को रेडियो के माध्यम से आमजन सुनते हैं। प्रधामंत्री के मन की बात हमेशा सुनना चाहिए तथा उन बातों को जीवन में अनुसरण भी करें। उन्होने युवाओं को नये कोशल सीखने व खेलों के प्रति युवाओं की ललक की सराहना की। साथ ही कहा की जेल में बंद कैदी नकारात्मकता को त्याग कर सकारात्मकता की ओर बडें जिससे अच्छे समाज का निर्माण होगा।  
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज रेडियो के द्वारा मन की बात के द्वारा सबसे पहले ओलिंपिक में मेडल जीत कर आये खिलाड़ियों और हॉकी में मिले पदक की चर्चा की। इस दौरान पीएम ने मेजर ध्यान चंद को याद किया और कहा कि ध्यानचंद के जन्म जयंती पर देश उनकी स्मृति में इसे राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाता है। ध्यानचंद को श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा, आज जब हमें देश के नौजवानों में हमारे बेटे-बेटियों में, खेल के प्रति जो आकर्षण नजर आ रहा है, बच्चे खेल में आगे जा रहे हैं तो माता-पिता को भी खुशी हो रही है, ये जो ललक दिख रही है मैं समझता हूँ, यही मेजर ध्यानचंद जी को बहुत बड़ी श्रद्धांजलि है।

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