सुप्रसिद्ध व्यापारी सेठ श्री गोपालदास जी अग्रवाल की तृतीय पुण्य तिथि पर “विभूति सम्मान समारोह” आयोजित

        शिक्षक दम्पत्ति, धर्मेन्द्र सिंह तोमर एवं श्रीमती साधना तोमर, गनपतराम नीखरा, वरिष्ठ शिक्षाविद्-डॉ. ए. के. वाजपेयी, वरिष्ठ चिकित्सक-डॉ. डी. आर. मोघे, आशाराम राठौर एवं  गोपालदास चौरसिया का हुआ सम्मान

Sandhyadesh
ग्वालियर । ग्वालियर के सुप्रसिध्द समाजसेवी, प्रतिष्ठित व्यापारी एवं चेम्बर ऑफ कॉमर्स के पहले संरक्षक सदस्य, सेठ श्री गोपालदास जी अग्रवाल की तृतीय पुण्यतिथि पर दूसरा विभूति सम्मान समारोह आज, रविवार 12 सितंबर को शायं 4 बजे ‘चेम्बर भवन’ में आयोजित किया गया । इस अवसर पर वरिष्ठ अभिभाषक- आर. डी. जैन, डॉ. वैणी माधव शास्त्री, चेम्बर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष- श्रीकृष्णदास गर्ग एवं चेम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष- विजय गोयल सहित सेठ श्री गोपालदास जी स्मृति सेवा संस्थान के अध्यक्ष-श्री ग्वालदास अग्रवाल मंचासीन थे ।
 कार्यक्रम का शुभारंभ मंचासीन अतिथियेों द्बारा सेठ श्री गोपालदास जी अग्रवाल की प्रतिमा पर पुष्पों से श्रद्घांजलि देकर किया गया । इस अवसर पर सेठ श्री गोपालदास जी स्मृति सेवा संस्थान के अध्यक्ष- ग्वालदास अग्रवाल ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि आप सभी ने मेरे पिताश्री की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम में अपना अमूल्य समय देकर जो सहयोग प्रदान किया है, उसके लिए मैं, आप सभी का हार्दिक स्वागत करता हूँ । मेरे पिताजी की पुण्य तिथि पर आयोजित इस कार्यक्रम में पधारे सभी सम्माननीय एवं गणमान्य जनों का आभार । मेरे पिताजी का जन्म 14 फरवरी, 1938 को हुआ था, उनका जन्म दिवस भी विश्‍व भर में लोग स्नेह के रूप में मनाते हैं । हमारा प्रयास होगा कि हम, उनके जन्म दिवस पर भी उनकी स्मृति में कार्यक्रम आयोजित करें ।

            कार्यक्रम का संचालन कर रहे सेठ श्री गोपालदास जी स्मृति सेवा संस्थान के सचिव-डॉ. प्रवीण अग्रवाल ने कहा कि स्व. गोपालदास जी ने जीवन में कठिन परिश्रम और संघर्षों से खुद अपने-आपको फर्श से अर्श तक स्थापित किया था । इसलिए उनकी पुण्यतिथि पर उन विभूतियों का सम्मान किया जाता है, जिन्होंने कठिन संघर्ष और परिश्रम से खुद को स्थापित किया है । उनको ‘विभूति सम्मान’ से नवाजा जाता है । इस बार के सम्मान समारोह में शिक्षक दम्पत्ति, धर्मेन्द्र सिंह तोमर एवं श्रीमती साधना तोमर,  गनपतराम नीखरा, डॉ. ए. के. वाजपेयी, डॉ. डी. आर. मोघे,  आशाराम राठौर एवं गोपालदास चौरसिया को आज हम सम्मानित करने जा रहे हैं ।

            डॉ. प्रवीण अग्रवाल ने प्रत्येक विभूति का परिचय कराते हुए अतिथिगणों से उनको सम्मानित करने का आग्रह किया । कार्यक्रम में शिक्षक दम्पत्ति, धर्मेन्द्र सिंह तोमर एवं श्रीमती साधना तोमर, गनपतराम नीखरा, डॉ. ए. के. वाजपेयी, डॉ. डी. आर. मोघे, आशाराम राठौड़ एवं  गोपालदास चौरसिया का शॉल-श्रीफल व सम्मान पत्र देकर मंचासीन अतिथियों द्बारा सम्मानित किया गया ।

            इस अवसर पर वरिष्ठ अभिभाषक एवं पूर्व महाधिवक्ता- आर. डी. जैन ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज इस कार्यक्रम में आने से पूर्व में एक समाचार पढ़ रहा था, जिसमें यह लिखा था कि आज के डिजिटल युग में लोग 5 हजार किलोमीटर दूर बैठे व्यक्ति से 5 सेकण्ड में बात कर सकते हैं, लेकिन एक भवन में रहकर भी लोग अपनों से कई दिनों तक बात नहीं कर पाते हैं । आज वह समय आ गया है कि लोग अपने बुजुर्गों को वृद्घाश्रम में भेज रहे हैं, ऐसे विपरीत समय में आज स्व. गोपालदास जी अग्रवाल के परिवारजन द्बारा यह कार्यक्रम आयोजित करना बड़ी बात है, ऐसे कार्यक्रम से दूरियां मिटती हैं और बुजुर्गों को सम्मान प्राप्त होता है । आपने कहा कि स्व. गोपालदास जी दूसरें लोगों के कार्य को निजी समझकर करते थे, यह उनकी विशिष्टता थी । आज उनका यह गुण उनके बच्चों में आ गया है । आपने एक उदाहरण देकर इस बात को समझाया ।

            इस अवसर पर राजवैध डॉ. वैणी माधव शास्त्री ने अपने उद्बोधन में आध्यात्म से परिचय कराते हुए कहा कि परिवर्तनशील समाज में उसे ही श्रेष्ठ माना जाता है, जो कि अपने कुल, समाज, ग्राम, प्रदेश व देश को उन्नति की ओर ले जाए । कुछ लोग ऐसे होते हैं और उन्हीं की तरह थे, हमारे गोपालदास जी। आपने कहा कि मेरा उनसे संबंध उनकी दुकान पर मलमल का कपड़ा खरीदने जाने से हुआ था, उनके यहां बहुत उच्च क्वालिटी की मलमल मिला करती थी। फिर कालांतर में मैंने उनको चिकित्सकीय सलाह व उपचार देते हुए उनसे घनिष्ठता बढती गई और उनसे गहरे पारिवारिक संबंध स्थापित हुये । उन्होंने सीमित संसाधनों में जो अपने परिवार के साथ-साथ समाज सेवा की है, वह काबिले तारीफ है ।

चेम्बर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष-श्रीकृष्णदास गर्ग ने कहा कि आज इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए मैं उनके परिवारजनों को साधुवाद देता हूं कि उनकी पुण्यतिथि पर उनको श्रद्घांजलि के लिए यह कार्यक्रम आयोजित किया है। योग्य पुत्र वही होते हैं, जो अपने पिता की स्मृतियों को अक्षुण्य बनाये रखते हैं। हम उन्हें सच्ची श्रद्घांजलि तभी दे सकते हैं, जब उनके गुणों व कार्यों को हम अपने जीवन में उतारें। आपने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने अपने जीवन में कभी हार नहीं मानी और उन्होंने यह करके दिखाया कि यदि हम निश्‍चित मार्ग पर चलें तो हमें कामयाबी जरूर मिलेगी। वह दीन-दुखियों की निस्वार्थ भाव से सेवा करते थे ।

            कार्यक्रम को संबोधित करते हुए चेम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष- विजय गोयल ने कहा कि मैं व्यापार जगत की ओर से स्व. श्री गोपालदास जी अग्रवाल को अपनी श्रद्घांजलि अर्पित करता हूं । वह मेरे पिता के मित्र थे और इस नाते कई बार मेरा उनके यहां जाना हुआ करता था । सन्‌-2007 में जब मैंने मानसेवी सचिव का चुनाव लड़ा, तो मेरे प्रतिद्बंद्बी के रूप में उनके छोटे पुत्र व मेरे छोटे भाई प्रवीण अग्रवाल थे। जब मैंने चुनाव जीता और उनका आर्शीवाद लिया तो उनका कहना था कि इस चुनाव में मेरे एक बेटे को जीतना था और वह जीत गया है । मैं, उनके इस भाव को आज भी नमन करता हूं। इतना निश्‍चिल प्रेम वह करते थे । मेरे मानसेवी सचिव के कार्यकाल में जो उनका सहयोग चेम्बर की पेट्रोल पंप वाली भूमि को लेकर मिला, वह आज भी स्मरणीय है, उनकी लगन व प्रतिबद्घता के चलते ही माननीय न्यायालय में हमने जीत दर्ज की और आज वह भूमि हमारे पास है। संस्था के लिए उनका प्रेम और समर्पण असीम था और यही गुण हमारी संस्था के मानसेवी सचिव व उनके छोटे पुत्र डॉ. प्रवीण अग्रवाल में भी है । वह सभी की निस्वार्थ भाव से मदद और सेवा करते हैं, फिर चाहे वह आमजन हों या चेम्बर के सदस्य महानुभाव । कार्यक्रम के अंत में आभार उपाध्यक्ष-श्रीमती साधना जैन द्बारा व्यक्त किया गया ।

कार्यक्रम में वरिष्ठ नेता एवं प्रतिपक्ष नेता, नगर-निगम परिषद- देवेन्द्र सिंह तोमर, एमपीसीसीआई के संयुक्त अध्यक्ष-प्रशांत गंगवाल, उपाध्यक्ष-पारस जैन, कोषाध्यक्ष-वसंत अग्रवाल, कार्यकारिणी सदस्य  संदीपनारायण अग्रवाल, दीपक जैसवानी, मनोज सरावगी, अंकुर अग्रवाल, सुनील अग्रवाल, जगदीश अग्रवाल, महेश मुदगल, निर्मल जैन, नरेन्द्र छिरौलिया सहित सदस्यगण,  आशीष अग्रवाल, अजय जैसवानी, महेन्द्र साहू, महेन्द्र अग्रवाल, अभिषेक गोयल (सन्नी), नरोत्तम जैन, मुकेश अग्रवाल, संजीव अग्रवाल, संभव जैन सहित काफी संख्या में शहर के गणमान्य व्यवसाई व नागरिकगण उपस्थित थे ।

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