भाद्रपद मास की पूर्णिमा से पितृ पक्ष की शुरुआत हो जाती है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक पितृ पक्ष रहता है। पितृ पक्ष का बहुत अधिक महत्व होता है।
ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने बताया कि पितृ पक्ष को श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है। कुछ लोग अपनी भाषा मे इसे कनागत भी कहते है। अर्थात जब सूर्य कन्या राशि मे रहते है तब यह पक्ष रहता है। पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। इस पक्ष में विधि- विधान से पितर संबंधित कार्य करने से पितरों का आर्शावाद प्राप्त होता है और पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस साल 20 सितंबर 2021 से पितृ पक्ष आरंभ हो जाएगा और 6 अक्तूबर 2021 को पितृ पक्ष का समापन हो जाएगा।
मृत्यु की तिथि के अनुसार श्राद्ध:-
श्री जैन ने कहा पितृ पक्ष में मृत्यु की तिथि के अनुसार श्राद्ध किया जाता है। अगर किसी मृत व्यक्ति की तिथि ज्ञात न हो तो ऐसी स्थिति में अमावस्या तिथि पर श्राद्ध किया जाता है। इस दिन सर्वपितृ श्राद्ध किया जाता है।
पितृ पक्ष में श्राद्ध की तिथियां इस प्रकार रहेंगी :-
पूर्णिमा श्राद्ध - सोमवार 20 सितंबर
प्रतिपदा श्राद्ध - मंगलवार 21 सितंबर
द्वितीया श्राद्ध - बुधवार 22 सितंबर
तृतीया श्राद्ध -गुरुवार 23 सितंबर
चतुर्थी श्राद्ध -शुक्रवार 24 सितंबर
पंचमी श्राद्ध - शनिवार 25 सितंबर
षष्ठी श्राद्ध - सोमवार 27 सितंबर
सप्तमी श्राद्ध -मंगलवार 28 सितंबर
अष्टमी श्राद्ध- बुधवार 29 सितंबर
नवमी श्राद्ध -गुरुवार 30 सितंबर
दशमी श्राद्ध - शुक्रवार 1 अक्तूबर
एकादशी श्राद्ध -शनिवार 2 अक्तूबर
द्वादशी श्राद्ध-रविवार 3 अक्तूबर
त्रयोदशी श्राद्ध -सोमवार 4 अक्तूबर
चतुर्दशी श्राद्ध- मंगलवार 5 अक्तूबर
अमावस्या श्राद्ध-बुधवार 6 अक्तूबर
इस साल 26 सितंबर को श्राद्ध तिथि नहीं है।
पितृ पक्ष का महत्व:-
पितृ पक्ष में पितर संबंधित कार्य करने से व्यक्ति का जीवन खुशियों से भर जाता है।इस पक्ष में श्राद्ध तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं और आर्शीवाद देते हैं।
कुंडली मे पितृ दोष से मुक्ति के लिए इस पक्ष में श्राद्ध, तर्पण करना शुभ होता है।
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