ग्रुप केंद्र सीआरपीएफ ग्वालियर में "पुलिस स्मृति दिवस" मनाया गया

अमर शहीदों को याद कर दी गई श्रद्धांजलि 

ग्वालियर । ग्रुप केंद्र सीआरपीएफ ग्वालियर में भी 21 अक्टूबर को “पुलिस स्मृति दिवस” मनाया गया। इस अवसर पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित कर साल भर में शहीद हुए पुलिस बल के जवानो को याद किया गया। वर्ष के दौरान राज्य पुलिस एवं केंद्रीय पुलिस बल के कुल 377 जवानों ने देश की सुरक्षा में अपना बलिदान दिया। इन सभी शहीदों को नमन किया गया। साथ ही पुलिस महानिरीक्षक श्री पी के पांडे एवं पुलिस उपमहानिरीक्षक ग्रुप केंद्र सीआरपीएफ ग्वालियर श्री प्रकाश चंद श्रीवास्तव ने पुलिस स्मृति दिवस मनाने के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। 

बीते 62 साल से हर साल 21 अक्टूबर को “पुलिस स्मृति दिवस” मनाया जाता है। 20 अक्टूबर सन् 1959 को बल की तीसरी वाहिनी (थर्ड बटालियन)  उस दिन पूर्वी लद्दाख के इसी ‘हॉट स्प्रिंग्स’ सीमा पर निगरानी कर रही थी। जवानों की उस टुकड़ी को तीन भागों में बांटकर गश्त की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। चीन सीमा पर गश्त को निकली इन 3 में से दो टुकडियां तो वापिस लौट आईं। तीसरी टुकड़ी वापिस नहीं लौटी। वापिस न लौटने वाली उस तीसरी टुकड़ी में दो सिपाही और एक पोर्टर शामिल थे। 21 अक्टूबर को सुबह तक जब तीसरी टुकड़ी वापिस नहीं लौटी तो अपनी उस खोई हुई टुकड़ी की तलाश के लिए एक और टुकड़ी तैयार की गई।

गायब तीसरी टुकड़ी की तलाश के लिए गठित की गई नई टुकड़ी में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 20 जवानों को शामिल किया गया। तलाशी टीम का नेतृत्व खुद (लीड) खुद बल के डीसीआईओ (डिप्टी सेंट्रल इंटेलीजेंस ऑफिसर) सब-इंस्पेक्टर करम सिंह कर रहे थे। सुरक्षा के लिहाज से एहतियातन करम सिंह ने, अपनी उस ‘विशेष तलाशी टुकड़ी’ को भी तीन अलग-अलग टुकड़ियों में बांट लिया था। ताकि किसी एक टुकड़ी के मुसीबत में फंसने पर, बाकी टुकड़ियां या टुकड़ी मुसीबत में फंसी टुकड़ी के जवानों को मदद कर सके। खुद घोड़े पर सवार होकर करम सिंह तीनों टुकड़ियों के साथ एक दिन पहले से गायब अपने तीनों जवानों की तलाश में, 21 अक्टूबर 1959 को सीमांत (हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र) क्षेत्र में निकल गए।

शहीद हो गए रणबांकुरे मगर पीठ नहीं दिखाई

करम सिंह तीनों टुकड़ियों के साथ अभी कुछ ही दूरी तय कर सके होंगे कि पहले से घात लगाए बैठे, सैकड़ों चीनी सैनिकों ने गोलियों-बमों से उन पर हमला कर दिया। हमले के वक्त चूंकि चीनी सैनिक ऊंची पहाड़ी पर छिपे थे। जबकि करम सिंह और उनकी तीनो टीमें निचले हिस्से में हमलावरों के वार की जद में चारों ओर से फंस चुकीं थीं। लिहाजा चीनी सैनिकों के उस हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 10 बहादुर जवान मोर्चा लेते हुए मौके पर ही शहीद हो गए, जबकि 7 रणबांकुरे बुरी तरह ज़ख्मी हो गए लेकिन चीनी सेना को वापस भागने पर मजबूर कर दिया। भारत सरकार ने रणबांकुरों की याद को हमे्शा के लिए ‘अमर’ करने की ठानी और 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। उन सीआरपीएफ जवानों के त्याग समर्पण, ईमानदारी, बहादुरी की मिसाल को आने वाली पीढ़ियों के लिए एक ‘नजीर’ के बतौर सहेज कर रखेंगे। उसी सम्मेलन में तय किया गया था कि उन शहीद हुए बहादुरों की याद में हर साल 21 अक्टूबर को देश भर में ‘पुलिस स्मृति दिवस’ मनाया जाएगा। 

स्मारक, जिसे हर हिंदुस्तानी पुलिस जवान देखना चाहता

कालांतर में ‘हॉट स्प्रिंग्स’ में एक पुलिस स्मारक बनाने का फैसला भी किया गया था। हॉट स्प्रिंग्स में उन शहीद बहादुरों की याद में बने इस पुलिस स्मारक को देखना आज हर पुलिसकर्मी अपनी खुशकिस्मती समझता है। 


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