जीवन का उद्देश्य तय होगा तो दिशा भी अपने आप मिल जाएगी

 जेयू के अटल बिहारी वाजपेयी सभागार में हुए कार्यक्रम के दौरान जेयू और आरएफआरएफ के बीच एमओयू भी हुआ

रविकांत दुबे AD News 24

अभी तक छात्र उन्हीं प्रश्नों को पढ़ते रहे, जिनके परीक्षा में आने की संभावना ज्यादा रही हो, क्योंकि उनका मूलभूत उद्देश्य परीक्षा में अच्छे नंबर पाना था, लेकिन मूल बात यह है कि सबसे पहले जीवन के उद्देश्य को तय करें। जब जीवन का उद्देश्य तय होगा तो आपकी शिक्षा भी तय हो जाएगी, जिससे आपको दिशा में मिलने में आसानी होगी। 

यह बात भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री मुकुल कानिटकर ने कही। वह जेयू के अटल बिहारी वाजपेयी सभागार में जीवाजी विश्वविद्यालय और भारतीय शिक्षण मंडल की ओर से हुए से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में पुनरूत्थान हेतु शोध विषय पर हुए कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि और मुख्य वक्ता बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि सुभाष चंद्र बोस ने महज 13 साल की उम्र में अपनी मां को खत लिखा और पूछा कि मां मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है। कहने का मतलब है कि उन्होंने भी जीवन के  लक्ष्य तय किए। 

कार्यक्रम के दौरान जीवाजी विश्वविद्यालय और रिसर्च फॉर रिसर्जेंस फाउंडेशन नागपुर के बीच एमओयू भी साइन हुआ। जेयू की ओर से कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने, जबकि आरएफआरएफ (रिसर्च फॉर रिसर्जेंस फाउंडेशन नागपुर) की ओर से राजेंद्र पाठक ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए।

 इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय महामंत्री डॉ. उमाशंकर पचौरी, आरएफआरएफ नागपुर के सचिव राजेंद्र पाठक, निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग मप्र के अध्यक्ष प्रो. भरत शरण सिंह रहे। भारतीय शिक्षण मंडल के मध्य भारत के प्रांत मंत्री डॉ. शिवकुमार शर्मा भी मौजूद रहे। जेयू की ओर से कुलाधिसचिव प्रो. उमेश होलानी, ईसी मेंबर डॉ. शिवेंद्र सिंह राठौड़, वीरेंद्र गुर्जर और डॉ. संगीता कटारे  मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने की। कार्यक्रम का संचालन डीसीडीसी डॉ. केशव सिंह गुर्जर ने, आभार कुलसचिव डॉ. सुशील मंडेरिया  ने व्यक्त किया। 

 भारत केंद्रिंत हो शोध

डॉ. उमाशंकर पचौरी ने कहा कि शोध को भारत केंद्रित होना चाहिए, क्योंकि  हम जिस दृष्टिकोण से चीजों को देखते हैं, हमें वैसी ही दिखाई देती हैं। आरएफआरएफ ने देशभर में शोध की दिशा और दशा को बदलने की ओर अपनी पहचान बनाई है। इसी दिशा में पारस्परिक शैक्षणिक सहयोग यानि एमओयू भी एक प्रयास है। 

खुद की सोच जरूरी है

कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने कहा कि हमारी खुद की सोच हमें कहां से कहां पहुंचा सकती है, इस बात पर फोकस करना जरूरी है। आपका फोकस, विजन और मिशन आपके देश, आपके शहर, आपके परिवार और आपके विश्वविद्यालय के लिए बहुत जरूरी है। जिस शिक्षा से आप अपने जीवन का निर्माण कर सकें, मनुष्य बन सकें, विचारों का सही सामंजस्य कर सकें वही सही शिक्षा है।         

एमओयू के खास बिंदु-

- जेयू और आरएफआरएफ के बीच हुए एमओयू के बाद बड़े रिसर्च प्रोजेक्ट के लिए आपसी तालमेल बनाने पर काम होगा। 

-देश के बड़े रिसर्च प्रोजेक्ट में जीवाजी विश्वविद्यालय की भी सहभागिता होगी।

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