सरिता के हौंसलों को मिली उडान "खुशियों की दास्तां"

हर जरुरतमंद की मदद को हैं तत्पर सरिता त्यागी

ग्वालियर |     दृष्टिहीन सरिता त्यागी अपने हौंसले, कुछ कर गुजरने के जज्बे के कारण अब किसी पर बोझ नहीं हैं, वह स्वयं तो आत्म निर्भर हैं ही, दूसरे जरुरतमंद की मदद करने के लिए भी तत्पर हैं। सरिता का कहना है कि उनके मन में भी हमेशा से यही चाह रही है कि दूसरे बच्चों की तरह वह भी अपने माता-पिता का सहारा बनें और अपने परिवार को आर्थिक रुप से सहयोग करें। अब उनका यह सपना सच हो गया है। सरिता त्यागी अब नवोदय विद्यालय दतिया में संगीत की शिक्षक हैं तथा उनके मन में दूसरे दृष्टिहीन व दिव्यांग बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने का जज्बा भरा हुआ है।

ग्वालियर के आत्म ज्योति दृष्टिहीन आवासीय कन्या विद्यालय से शिक्षा ग्रहण करने वाली सरिता त्यागी ने बताया कि लोग जब भी हमारी तरह दृष्टिहीन या दिव्यांग बच्चों को देखते हैं तो यही कहते हैं कि यह तो बेचारे कमजोर हैं, जीवन में क्या कर पाएंगे। हमें लोगों की यही सोच बदलनी है। सरिता ने बताया कि मेरे परिवार में माता-पिता एवं मेरी दो बहने व एक भाई हैं, अब मैं विवाहित हूं और मेरे पति का भी मुझे बहुत सहयोग मिलता है। मुझे आत्मनिर्भर बनाने में मेरे परिवार के साथ ही आत्म ज्योति दृष्टिहीन आवासीय कन्या विद्यालय के शिक्षकों का बहुत सहयोग रहा। उन्होंने बताया कि यह नौकरी मेरे लिए, आत्मसम्मान के लिए बहुत मायने रखती है। अब मैं उन लोगों को जबाव दे सकती हूं जो कि यह सोचते हैं कि दृष्टिहीन लडकी क्या करेगी।   

सरिता त्यागी का दृष्टिहीन व दिव्यांग बच्चों व युवाओं से कहना है कि हमें अपना विश्वास कमजोर नहीं होने देना है तथा प्रत्येक लक्ष्य को चैलेन्ज के रुप में स्वीकार कर उसे प्राप्त करने में लग जाना है तो फिर कोई भी कारण नहीं कि हम अपने लक्ष्य में सफल नहीं हो पाएं। उनका कहना है कि यदि कोई दृष्टिहीन बच्चा संगीत के क्षेत्र में या अन्य किसी विषय में शिक्षा लेना चाहता है तो वह शिक्षा देने के लिए तैयार हैं तथा वह उस बच्चे की पढने में आर्थिक मदद भी कर सकतीं हैं।

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