जैन ने कहा पूर्णिमा तिथि आज यानी 19 अक्टूबर को शाम 7 बजकर 3 मिनट पर शुरू होगी और 20 अक्टूबर रात 8 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार शरद पूर्णिमा का व्रत कल यानी 20 अक्टूबर, बुधवार के दिन रखा जाएगा।
दूसरा 19 अक्टूम्बर मंगलवार को पूर्णिमा तिथि निशीथ व्यापनी है। और बुधवार के प्रदोष व्यापिनी है यदि पूर्णिमा पहले दिन निशीथ व्यापिनी हो और दूसरे दिन प्रदोष व्यापिनी हो तो शरद पूर्णिमा दूसरे दिन ही मनाई जाना शास्त्र युक्त है।धर्मसून्धु शास्त्र के अनुसार। इस दिन चन्द्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होगी।इस दिन चंद्रमा की दूधिया रोशनी में दूध की खीर बनाकर रखी जाती है और बाद में इस खीर को प्रसाद की तरह खाया जाता है। मान्यता है कि इस खीर को खाने से शरीर को रोगों से मुक्ति मिलती है।
ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण सभी चंद्रमा की सभी सोलह कलाओं से युक्त थे। इस पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा से निकलने वाली किरणें चमत्कारिक गुणों से परिपूर्ण होती है। इस दिन धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा भी की जाती हैं। शरद पूर्णिमा का व्रत रखने के बाद पूर्ण रात्रि देवी लक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से धन समस्याओं का अंत होता है। और धन तथा वैभव की प्राप्ति होती है.
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