इसके बाद सिंधिया ने शमी के वृक्ष पर तलवार चलाकर उसकी सोना पत्तियां गिराईं। वहां मौजूद सिंधिया परिवार के करीबी सरदारों और उनके वंशज ने यह पत्तियां लूटीं। इससे पहले सिंधिया, आर्यमन के साथ गोरखी स्थित देवघर पहुंचे। यहां उन्होंने राजसी चिन्हों का पूजन किया। हर वर्ष सिंधिया घराने के मुखिया यहां आकर पूजा करते हैं। इस मौके पर सिंधिया ने सभी शहरवासियों को दशहरा की शुभकामनाएं।
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