ग्वालियर । स्वयंसिद्धा महिला स्व. सहायता समूह द्वारा आत्मनिर्भर हो भारत, देश व प्रदेश सरकार के सपने को साकार करते हुए कार्य कर रहा है। स्व-सहायता समूह से जुडकर महिलायें आत्मनिर्भर तो बनी है। साथ ही समाज में भी अपनी अलग पहचान बनाई है। समूह से जुडकर महिलाओं ने अपने हुनर के अनुसार कार्य किया और उनके बनाये हुए घरेलू उत्पाद को बाजार में बेचा जिससे आर्थिक और सामाजिक रूप से महिलाएं व समूह स्वाबलंबी बना।
कोरोना काल में कई उद्योग, धंधो या प्रायवेट सेक्टर मे काम करने वाले सैकडों लोग बेरोजगार हो गए, उनके समक्ष आर्थिक संकट आ गया, ऐसे संकट के समय समाजसेवी श्रीमती महिमा तारे ने मध्य प्रदेश शासन की राष्ट्रीय आजीविका मिशन योजना के अंतर्गत महिलाओं का स्व-सहायता समूह बनाने के लिए आर्थिक संकट से जूझ रही कुछ महिलाओं को एकत्रित किया, उनका संबल बढ़ाया और स्वयंसिद्धा महिला स्व. सहायता समूह बनाकर महिलाओं को उनके अंदर छुपे हुए हुनर व कौशल को आगे बढ़ाने का काम किया। आज वे ही महिलाएं आर्थिक रूप से सुदृढ हो रही हैं और बहुत ही दिलचस्पी व लगन के साथ घरेलू उत्पाद तैयार कर रही हैं। इस कार्य में शासन द्वारा पूरा सहयोग दिया जा रहा है।
श्रीमती महिमा तारे अध्यक्ष स्वयं सिद्धा महिला स्व-सहायता समूह ने बताया कि कोरोना काल में उनके पास ऐसी तमाम महिलाएं संपर्क में आई जिनके पति या उनकी स्वयं की नौकरी समाप्त हो गई, ऐसी स्थिति में उनके सामने परिवार का भरणपोषण करना काफी मुसीबत वाला हो गया। ऐसी महिलाओं को प्रोत्साहित किया गया और एक स्वयंसिद्धा महिला स्व सहायता समूह की स्थापना कर भाखरबडी, चकली, अनारसे, आइल फ्री नमकीन बनाकर उनकी सप्लाई की। इसके बाद आंबला को लेकर आंबला बर्फी, आंबला सुपारी, आंबला का मुरब्बा, आंबला कैंडी आदि भी बनाए। इसके साथ ही कुछ महिलायें आर्ट एवं क्राफ्ट से जुडीं हैं। उनके द्वारा कलात्मक पेपर बैग, लिफाफे ग्रींटिंग कार्ड, टोटो बैग भी बनाये। इसके साथ ही कैंचुआ खाद, आयुर्वेदिक हेयर ऑयल आदि बनाये हैं।
मधु सोलापुरकर
सहायक संचालक, ग्वालियर
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