आषाढ़ शुक्ल देवशयन एकादशी 20 जुलाई से 14 नबम्बर आज तक हरिशयन काल होने से विवाह,ग्रह प्रवेश देवप्रतिष्ठा आदि शुभ कार्यो पर लगी रोक अब हट जाएगी।
परन्तु अभी तुला राशि मे 16 नबम्बर तक सूर्य के रहने से विवाह मुहूर्त शास्त्रयुक्त नहीं है।पहला विवाह मुहूर्त 20 नबम्बर को ही है।
ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने जानकारी में कहा कि 14 नबम्बर आज प्रातः दशमी तिथि 05:48 बजे समाप्त होकर इसी समय से एकादशी शुरू हो जाएगी जो 15 नबम्बर सोमवार को प्रातः 06:39 तक एकादशी समाप्त होगी।
इसलिए स्मार्तमत से 14 नबम्बर रविवार के दिन देवठान एकादशी देवप्रबोत्सव मनाया जाएगा।
परम्परा अनुसार तुलसी विवाह भी उसी दिन सम्पन्न किया जा सकता है।
निम्बार्क,बल्लभ और वैष्णव मत को मानने बाले सभी महानुभाव, साधु-सन्यासी,योगी,तपस्वी,महात्मा, विरक्त-विधवा महिलाएं एकादशी को 15 नबम्बर सोमवार को करेंगी ।
भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी को चार माह के लिए सो जाते हैं और कार्तिक शुक्ल की एकादशी को निद्रा से जागते हैं। देवउठनी एकादशी के दिन चतुर्मास का समापन हो जाता है और शुभ काम शुरू किए जाते है।
एकादशी के दिन गन्ना और सूप का महत्व
देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है। इस दिन गन्ने और सूप का भी खास महत्व होता है। देवउठनी एकादशी के दिन से ही किसान गन्ने की फसल की कटाई शुरू कर देते है।
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