रविकांत दुबे AD News 24
ग्वालियर। भारत के सूचना आयुक्त उदय माहुरकर ने हा है कि वीर विनायक दामोदर सावरकर की बातों उनके विचारों पर नेशन फस्र्ट और मिलिट्री प्रशिक्षण पर अगर भारत में बनने वाली सरकारों ने अमल किया होता तो आज भारत विश्व का गुरू होता। उन्होने कहा कि सावरकर की सोच एकता एवं अखंडता हिन्दु-मुस्लिम एकता पर आधारित थी लेकिन कांग्रेस की तुष्टिकरण की नीति से ही भारत का विभाजन हुआ ।
भारत के सूचना आयुक्त उदय माहुरकर आज अपने ग्वालियर प्रवास के दौरान उदभव पत्रकारिता राष्ट्रीय लाइफ टाइम एचीवमेंट एवार्ड से पहले पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने बताया कि हाल ही मेें उनकी सावरकर जी पर आई किताब चर्चा में है। वह चाहते हैं कि सावरकर को सभी लोग पढें और उनके विचारों को जाने। उन्होंने कहा कि उन्होंने किताब में उनके सभी अनछुए पहलुओं को जिनपर लगातार वहस भी की जा रही है पर तत्थात्मक जानकारी हासिल कर किताब में समाहित किया है। उन्होंने कहा कि आजादी की लडाई में सावरकर जी का योगदान कम नहीं है। अंग्रेज तक उनके नाम से डरते थे और अंडमान की सेल्युलर जेल से सावरकर को नहीं छोडने के लिए तक एक अंग्रेज अधिकारी ने फरमान जारी किया था।
भारत के सूचना आयुक्त माहुरकर ने बताया कि आजादी के समय महात्मा गांधी और सावरकर एक दूसरे का बेहद सम्मान करते थे। इतना ही नहीं १९२१ में स्वयं महात्मा गांधी ने उन्हें जेल से मुक्त कराने के प्रयास किये थे। सावरकर द्वारा दिये गये माफी नामे के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि हां उस समय उन्होंने अपना माफी नामा लिखकर दिया था। लेकिन उनका मानना था कि माफी नामा देकर वह भारत में जेल से बाहर आयेंगे और देश की आजादी के काम में लग जायेंगे। यह बात अंग्रेज अधिकारी जानते थे और वह सावरकर को खुला छोडने के पक्ष में बिल्कुल भी नहीं थे। माहुरकर ने कहा कि शिवाजी महाराज ने पांच बार औरंगजेब के समक्ष माफी नाम दिया वह माफी नामा देकर कुछ समय बाद फिर अपने काम में लग जाते थे और उन्होंने स्वयं ही माफीनामे को तोडा। उन्होंने बताया कि सावरकर ही ऐसे व्यक्ति थे जो भारत की एकता और अखंडता पर विश्वास करते थे। वह भारत के विभाजन के पक्ष में नहीं थे।
उन्होंने कहा कि भारत का विभाजन सिर्फ कांग्रेस चाहती थी, बाद में मुस्लिम पार्टियां और जिन्ना की पार्टी आगे आई और कांग्रेस ने विभाजन का समर्थन कर विभाजन करवा दिया। सूचना आयुक्त माहुरकर ने कहा कि सावरकर एक भविष्य वक्ता भी थे। उन्होंने नेहरू के पंचशील के सिद्धांत पर भी अपने विचार रखे और कहा कि यदि अन्य देशों ने इसे खासकर चीन ने नहीं माना तो यह किसी मतलब का सिद्धांत नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सावरकर राष्ट्रीय सुरक्षा और कूटनीति के महारथी थे। एक प्रश्र के उत्तर में सूचना आयुक्त माहुरकर ने कहा कि सावरकर पर लगाये जा रहे आरोप पूर्णतया मिथ्या हैं। एक प्रश्र के उत्तर में उन्होंने कहा कि तुष्टिकरण अल्पसंख्यकों के वोटों की भूख जब बढेगी तो कांग्रेस बहुत तेजी से सावरकर का विरोध करेगी ही।
भारत के सूचना आयुक्त उदय माहुरकर ने कहा कि उनके पूर्वज स्वयं सिंधिया परिवार के साथ पानीपत से लकर कई लडाई में लडे और दिल्ली के लिये लडाई में वीरगति को भी प्राप्त हुये। उन्होने कहा कि भारत का इतिहास गलत तरीके से लिखा गया है। दिल्ली में मुस्लिमों के नाम पर सडक़ों के बारे में उन्होने कहा कि सडक़ों का नाम बदलना ही है तो किसी मुस्लिम राष्ट्र भक्त के नाम पर उनका नाम कर दें। कई वीर मुस्लिम समाज से लोग हुये हैं।
सावरकर को भारत रत्न देने के बारे में पूछे जाने पर उन्होने कहा कि सावरकर भारत रत्न से बहुत ऊपर हैं। मिल जाये तो ठीक नहीं तो यह सम्मान उनके सामने छोटा ही होगा। उन्होंने कहा कि वह हिन्दवी स्वराज के समर्थक थे और नेहरू के कटटर प्रतिद्वंदी रहे थे।
एक प्रश्र के उत्तर में उन्होने कहा कि उन्होने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर पुस्तक लिखी वह उनके एडमिनिस्ट्रेशन को लेकर लिखी हैं। आगे भी उनकी पुस्तक वह लिखेंगे। आजकल मीडिया खासतौर पर डिजीटल मीडिया और सोशल मीडिया के बारे में उन्होंने कहा कि यह सब टीआरपी में क्या परोस रहे हैं ठीक नहीं है। वहीं सोशल मीडिया भी बैलेंस नहीं कर पा रही है।
एक प्रश्र के यदि भारत का विभाजन नहीं होता तो हिन्दुओं की क्या स्थिति होती माहुरकर ने कहा कि तो भारत नहीं पाकिस्तान में भी हिन्दुओं का यह हाल नहीं होता। पाकिस्तान के बारे में पूछे जाने पर उन्होने कहा कि इमरान असफल है। पाकिस्तान का अब जल्द ही विभाजन हो सकता है जिससे भारत को लाभ होगा। तालिबान के अफगानिस्तान में आने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हां भारत को इससे कुछ नुकसान हो सकता है।
इस अवसर पर उदभव के संरक्षक पूर्व विधायक रमेश अग्रवाल , उदभव सांस्कृतिक एवं क्रीडा संस्था के अध्यक्ष डॉ. केशव पांडे सचिव दीपक तोमर , इंदौर से आये नदीम भाई भी मौजूद थे।
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