तिथिरेक गुणा प्रोक्ता नक्षत्रं च चतुरगुणम, । वारश्चष्टांगगुणः प्रोक्तः करणम,षोडशांवितनम,।।
द्वात्रिंशलक्षणो योगस्यतारा: षष्टि गुणा: स्मृताः। चंद्र: शतगुणः प्रोक्तो लग्नम कोटिगुनम स्मृतम,।।
अर्थात :- कहने का तातपर्य यह है कि मुहूर्त देखने में तिथि को 1 गुना नक्षत्र को 4 गुना वार को 8 गुना ,करण को 16 गुना , योग को 32 गुना ,तारा को 60 गुना चंद्रमा को 100 गुणा तथा लग्न को करोड़ गुण प्राप्त होते हैं।
यह बात मुहूर्त निकालते समय ध्यान देने योग्य है। कई बार व्यक्ति वार के पीछे पड़ जाता है। शनिवार या रवि या मंगल वार में ऐसा वैसा नहीं होता इस वार में हम यह कार्य नहीं करेंगे ऐसी मान्यता उसकी (व्यक्ति) की ऐसी धारणा उसकी बनी हुई है । हम देखें शास्त्र की वास्तविकता क्या है ?
तो देखने में आता है कि वार का केवल 8 गुना फल है ।बाकी लग्न का देखे आप तो लग्न का करोड़ गुना फल है चंद्रमा का 100 गुना फल है तो वार के पीछे वह चंद्रमा को नहीं देखता न ए देखे चंद्रमा 4, 8 ,12 है राशि से चन्द्र बलहीन है, कमजोर है लग्न कमजोर हे, बल हीन हे ।
किस लग्न (चर, स्थिर,द्विस्वभाव) में किस में हम किस कार्य को कर रहे हैं इस बात का वह व्यक्ति बिल्कुल ध्यान नहीं देता और वार के पीछे या तिथि के पीछे पड़ कर रह जाता है। जबकि तिथि को 1 गुना फल है और वार को 8 गुणा नक्षत्र का केवल 4 गुना है।
तो हम इस चीज को व्यवहार में अवश्य अपनाएं देखें कि शास्त्रों की वास्तविकता क्या है? वास्तविकता को हम अपने आने वालों को भी समझाये।
ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन
ग्वालियर मो. 9425187186*
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