विचार आधारित पत्रकारिता का वाहक है स्वदेश - मुख्यमंत्री चौहान

 राष्ट्र  और मानव कल्याण स्वदेश  की पत्रकारिता का मूल हितभाव –डाँ. मोहन भागवत

स्वदेश समूह का स्वर्णजयंती समारोह आयोजित


 रविकांत दुबे  AD News 24

ग्वालियर/ विचारों पर आधारित पत्रकारिता का अब नया युग शुरू हो रहा है । स्वदेश समाचार-पत्र इस प्रकार की पत्रकारिता का वाहक बना है । राष्ट्रहित में सूचनाएँ देना स्वदेश की विशेषता है । इस आशय के विचार मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने व्यक्त्‍ किये । मुख्यमंत्री श्री चौहान स्वदेश ग्वालियर समूह के स्वर्णजयंती समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे । राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक डॉ. मोहन भागवत की विशेष उपस्थिति और उनके दृष्टिबोधन ने इस समारोह को गरिमा प्रदान की। डाँ. मोहन भागवत ने इस अवसर पर कहा कि स्वदेश समूह ने देश की भलाई, मानव कल्याण,मनुष्यों के प्रबोधन और विवेक पूर्ण विचारों से युक्त पत्रकारिता का उदाहरण प्रस्तुत किया है ।   

शनिवार को यहाँ जीवाजी विश्वविद्यालय के अटल बिहारी वाजपेयी सभागार में आयोजित हुए स्वदेश समूह के स्वर्ण जयंती समारोह में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मध्य क्षेत्र के क्षेत्र संघचालक श्री अशोक सोहनी  का भी सान्निध्य प्राप्त हुआ। इस अवसर पर स्वदेश समूह के प्रबंध संचालक श्री यशवर्धन जैन मंचासीन थे । 

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आजादी के पहले पत्रकारिता का लक्ष्य देश को स्वतंत्रता दिलाना था । आजादी के बाद इस लक्ष्य में बदलाव हुआ है । स्वदेश अखबार ने राष्ट्रीय विचार पर आधारित पत्रकारिता की है और वह परिवर्तन का वाहक बना है। राष्ट्रहित से जुड़े कई मुद्‌दे स्वदेश ने उठाये हैं।स्वदेश ने न केवल राष्ट्रहित में सूचनाएँ दी है बल्कि अपने से इतर विचाराधारा के पत्रकारों को पैदा करने का काम भी निष्पक्ष रूप से किया है ।  राजाश्रय और व्यवसायिक आश्रय के बगैर स्वदेश ग्वालियर समूह ने 50 साल सफलता पूर्वक पूरे किये हैं, इसके लिए वह अभिनंदनीय है । उन्होनें कहा मामा माणिकचंद वाजपेयी, भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयीजी, राजमाता विजया राजे सिंधिया एवं सुदर्शन जी जैसे संत पुरूषों के सानिध्य में स्वदेश ने ऊँचाईयाँ प्राप्त की हैं । 

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक डॉ. मोहन भागवत ने राष्ट्रीय विचार एवं ध्येयनिष्ठ पत्रकारिता के 50 वर्ष पूर्ण करने पर स्वदेश समूह को बधाई और शुभकामनाएँ दी । साथ ही कामना की  कि स्वदेश अखबार और ऊँचाईयॉ प्राप्त कर सौवें वर्ष में पहुँचे तथा भारत को फिर से विश्व गुरू के पद पर आसीन करने में अपना योगदान दे ।उन्होनें कहा सुदर्शन जी, अटलजी, मामा माणिकचंद वाजपेयी व राजमाता जी के आर्शीवाद व  सदाशयता से जिस संकल्प भाव के साथ स्वदेश अखबार शुरू हुआ था जिसे कायम रखा है । स्वदेश ने यह साबित किया है कि दशाएँ भले ही बदल जायें दिशा सदैव कायम रहती है । सूर्य उदयीमान हो अथवा अस्ताचल पर जाये सदैव लाल ही रहता है । 

डाँ. मोहन भागवत ने कहा कि स्वतंत्रता से पहले जोश की ज्यादा जरूरत थी क्योंकि हमें आजादी प्राप्त करनी थी पर अब हमें जोश के साथ होश की भी जरूरत है, जिससे देश हित में अच्छे काम हो सकें । उन्होनें स्वदेश नाम की व्याख्या करते हुए कहा कि स्व और देश दोनो का महत्व है। हमारी इस भूमि में स्व और देश अलग नहीं है । डाँ भागवत ने वसुधैव कुटुंबकम और  देश की एकता व अखंडता पर जोर देते हुए कहा कि हमारा सारा का सारा  सांस्कृतिक इतिहास भारत से जुड़ा है। हमारी संस्कृति इस बात की पोषक है कि सम्पूर्ण त्रि-भुवन हमारा देश है । इसलिए तेरा –मेरा का झगड़ा बंद कर सभी लोग अपने मन को विशाल करें । डाँ. भागवत ने कहा स्वबोध की जागृति से दुनिया मे भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है । सम्पूर्ण विश्व अब भारत से नये रास्ते की अपेक्षा कर रहा है । 

समारोह को संबोधित करते हुए डाँ. भागवत ने उपभोक्तावादी संस्कृति और भारत की संस्कृति का अंतर सपष्ट करते हुए कहा कि उपभोक्तावादी संस्कृति दुनिया को ग्लोबल मार्केट बनाने की बात करती है अर्थात बिना स्वार्थ के जुड़े रहने की कल्पना नहीं है । वहीं भारतीय संस्कृति में सत्य समाहित है जो कहता है कि  सम्पूर्ण विश्व का अस्तित्व एक ही है । इसलिए एकता को एक करो तभी वास्तविक सुख मिलेगा । भारत ऐसी भूमि है जिसमें सभी की भलाई के लिए सोचा गया । 

आरंभ मे स्वदेश समूह के संपादक श्री अतुल तारे ने स्वागत उदबोधन दिया । उन्होनें कहा राष्ट्रीय विचार एवं ध्येयनिष्ठ पत्रकारिता का प्रतिनिधि स्वदेश (ग्वालियर) ने 50 वर्ष की  गौरव यात्रा पूरी कर ली है। एक समाचार पत्र समूह के रूप में स्वदेश का वैचारिक अधिष्ठान सात दशक पुराना है। इसका प्रारंभ 1948 में लखनऊ से हुआ और भारत रत्न स्वर्गीय अटलबिहारी वाजपेयी इसके आद्य संपादक रहे। उसके पश्चात 1966 में इंदौर से इसका प्रकाशन आरंभ हुआ। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक सुदर्शन जी की प्रेरणा और राजमाता विजयाराजे सिंधिया के आशीर्वाद से 1971 में ग्वा‍लियर से स्वदेश का प्रकाशन शुरू हुआ।

आज स्वदेश ग्वालियर समूह ध्येयनिष्ठ पत्रकारिता और राष्ट्रवादी विचारों के वाहक के रूप में देश के  सर्वाधिक प्रतिष्ठित  समूह  में से एक है। वर्तमान में मध्यप्रदेश में पांच स्थानों ग्वालियर, गुना, सतना, भोपाल और रीवा से तथा उत्तर प्रदेश में तीन स्थानों झांसी, आगरा व लखनऊ से स्वदेश का प्रकाशन हो रहा है।

आरंभ में अतिथियों ने माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर समारोह का शुभारंभ किया। इस अवसर पर स्वदेश समूह की पचास वर्ष की यात्रा पर वृत्त  चित्र दिखाया गया । इस अवसर पर श्री पीयूष तांबे व उनकी धर्मपत्नी श्रीमती प्रतीक्षा तांबे द्वारा “मै रहूँ या ना रहूँ भारत ये रहना चाहिए” प्रस्तुत कर सभी में देश भक्ति की भावना का संचार किया ।

इन्हें किया सम्मानित

समारोह में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान एवं  राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक डॉ. मोहन भागवत नें स्वदेश समूह के वरिष्ठ सदस्य श्री त्रियंबक अन्ना जी काकेड़े व चार दशकों से स्वदेश में कार्यरत श्री अशोक सक्सेना को स्वदेश समूह की ओर से सम्मानित किया । 

समारोह में इनकी रही उपस्थिति

स्वदेश समूह के स्वर्णजयंती समारोह मे जिले के प्रभारी एवं जल संसाधन मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट, ऊर्जा मंत्री श्री प्रदयुमन सिंह तोमर, राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार श्री भारत सिंह कुशवाह, सांसद श्री विवेक नारायण शेजवलकर, पूर्व राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष श्री बी.डी. शर्मा, पूर्व मंत्रीगण श्रीमती माया सिंह, श्री जयभान सिंह पवैया व श्री लाल सिंह आर्य , पूर्व सांसद श्री श्री अशोक अर्गल व पदमश्री श्रीयुत श्रीधर पराडकर सहित अन्य वरिष्ठ नागरिक उपस्थित रहे । अंत में स्वदेश समूह के संचालक श्री प्रांशु शेजवलकर ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया कार्यक्रम का संचालन श्री राजेश वाधवानी द्वारा किया l


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