रंग सारथी एवम् एसोसिएशन ऑफ ग्वालियर यूथ सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक नाटक संध्या छाया मराठी का एक काल जई नाटक है प्रसिद्ध मराठी नाटक लेखक जयवंत दलवी की यह 1970 की कृति आज 50 साल बाद भी उतनी ही सार्थक हैं संध्या छाया एक ऐसे परिवार की कहानी है जिसमें दिखाया गया है कि आज के युवा अपने कैरियर वा ऐसो आराम के लिए अपने माता पिता को किस प्रकार अनदेखा करते आ रहे हैं नाटक के मुख्य पात्र अप्पा नानी जी के दो लड़के हैं बड़ा लड़का अमेरिका में इंजीनियर है जो कि वही शादी करके वहीं पर सेटल हो चुका है जबकि छोटा लड़का एयर फोर्स में पायलट था जो 1971 के युद्ध में शहीद हो जाता है बूढ़े मां बाप घरेलू नौकर के सहारे रोजमर्रा की समस्याओं से झूझते हुए अपने अमेरिकी बड़े लड़के की वापसी के इंतजार में अपनी बची
हुई जिंदगी को जीने का प्रयास कर रहे हैं कई भावुक दृश्यों से भरपूर यह नाटक युवाओं के साथ-साथ बुजुर्ग मां-बाप को भी संदेश देता है एसोसिएशन ऑफ ग्वालियर यूथ सोसाइटी के अध्यक्ष संजय कट्ठल ने बताया की इस आयोजन के निर्देशक रवीन्द्र कुमार जगताप है और कलाकारों में गोपाल देशपांडे रेणु झवर रेशु गंगवार आशुतोष पांडेय अनिकेत दुबे अनिकेत मिथलेश गुप्ता विजय जुरनेकर बादल कुमार बोस अपना किरदार निभाने जा रहे हैं
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