ग्रहण पर विशेष* कैसे लगता है सूर्य व चंद्र ग्रहण*

   ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ग्वालियर

*जब सूर्यकांति मंडल में चंद्र विममंडल में अपनी अपनी कक्षा में परिभ्रमण करते हैं और सूर्य से छह राशि के अंतर पर पृथ्वी की छाया अपनी कक्षा में रहती है। पूर्णिमा को सूर्य और चंद्रमा में  6 राशियों का अंतर होता है पूर्णिमा को पृथ्वी की छाया चंद्रमा समान रहते हैं।

जब सूर्य ,पृथ्वी, चंद्रमा एक सीध में होते है तब पृथ्वी की छाया चंद्रमा को ढक लेती है, उस समय चंद्रग्रहण होता है। यदि पूर्ण रूप से ढके तो खग्रास अर्थात पूर्ण ग्रहण और यदि चंद्रमा के किसी अंश को ढके तो अपूर्ण खंड ग्रहण होता है।

इसी प्रकार अमावस्या को सूर्य व चंद्रमा एक राशि गत अपनी अपनी कक्षा में परिभ्रमण करते हैं जब पृथ्वी, चंद्रमा, सूर्य एक सीध में आते हैं तब चंद्रमा सूर्य को ढक लेता है उस समय सूर्य ग्रहण  होता है । यह ढकने की क्रिया जितनी होती है उस अनुसार खण्ड,खग्रास  आदि ग्रहण होता है।

आज 4 दिसंबर अमावस्या को सूर्य ग्रहण विश्व के भूमंडल पर पड़ेगा परंतु ऐसी स्थिति भारत  में  कहीं निर्मित नहीं हो रही जहा चन्द्रमा सूर्य के किसी भाग को ढक रहा हो इस बजह  से भारत ने सूर्य ग्रहण नहीं मान्य होगा।

भारत के अलावा जिन देशों, स्थानों पर इस प्रकार की स्थिति निर्मित है वहां पर इस को माना व देखा जा सकेगा। खग्रास स्वरूप में या आंशिक रूप में ग्रहण दिखाई देगा। जितना-जितना सूर्य ढका होगा उतना उन स्थानों पर सूर्य ग्रहण होगा।

*भारत मे खग्रास सूर्य ग्रहण*

भारत मे 26 मई को खग्रास चन्द्र ग्रहण दिखा था तब से आगे एक वर्ष बाद ही 25 अक्टूम्बर 2022 को खग्रास सूर्य ग्रहण दिखेगा।

ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने जानकारी देते हुये कहा कि 04 दिसम्बर शनिवार को भूमण्डल पर खग्रास सूर्य ग्रहण पड़ेगा।

भारतीय समय अनुसार सूर्य ग्रहण 10:59 पर सम्मीलन 12:30 पर ग्रहण का मध्य 1:00 बज कर 3:00 मिनट पर दोपहर, ग्रहण का उन्मीलन 1:36 पर तथा ग्रहण का मोक्ष 3:07 पर दोपहर होगा । ग्रहण का परम ग्रास 1.0 36 होगा। भारत में खग्रास सूर्यग्रहण मार्गशीर्ष कृष्ण अमावस्या शनिवार दिनांक 4  दिसंबर 2021 को वृश्चिक राशि में खग्रास सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा।अतः धार्मिक दृष्टि से सूतक/वेध आदि दोष भारत में मान्य नहीं है ।

भूमंडल पर यह खग्रास सूर्यग्रहण दक्षिण अफ्रीका, अंटार्टिका दक्षिण अटलांटिक भाग में दिखाई देगा। खग्रास आकृति अंटार्टिका में दिखाई देगी । खंडग्रास आकृति सेंटहेलेना, नामीबिया ,लेसोथो, दक्षिण अफ्रीका दक्षिण जार्जिया, फ्रांस, अंटार्टिका, फाकलैंड, आइसलैंड ,चिल्ली, न्यूजीलैंड ऑस्ट्रेलिया में दिखाई देगा।

भूमण्डल पर यह सूर्य ग्रहण 2021 का आखरी ग्रहण है।यह भी दिखाई नही दे रहा न ही इस ग्रहण का कोई धार्मिक सूतक/वेध दोष मान्य होगा न ही राशियों पर अच्छा बुरा प्रभाव दिखायेगा इसलिए इस ग्रहण के प्रभाव से

घबड़ाने की कोई चिंता नहीं है।

श्री जैन ने जानकारी में कहा कि भारत की भूमि पर 25 अक्टूबर 2022 को ही खण्डग्रास सूर्य ग्रहण पड़ेगा जो देखा जा सकेगा और अपना असर करेगा।

26 मई 2021 को भारत के भूमण्डल पर खग्रास चन्द्रग्रहण पड़ा था जिसने अपना असर दिखाया था। ग्रहण के प्रभाव सामान्यतः अच्छे नहीं कहे गये है। 

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