पंचक क्या और क्यों लगता है? ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन

5 जनवरी को शाम को 07 :53 बजे से 10 जनवरी 2022 प्रातः 08:48 बजे तक रहेंगे पंचक

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चन्द्रमा  का धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण और शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद तथा रेवती नक्षत्र के चारों चरणों में भ्रमण काल पंचक काल कहलाता है।

इस तरह चन्द्रमा  का कुम्भ और मीन राशी में भ्रमण पंचकों को जन्म देता है। अर्थात पंचक के अंतर्गत धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र आते हैं। इन्हीं नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को 'पंचक' कहा जाता है।

*पंचक के नक्षत्रों का प्रभाव:-*

*'अग्नि-चौरभयं रोगो राजपीडा धनक्षतिः।*

*संग्रहे तृण-काष्ठानां कृते वस्वादि-पंचके।।'*-मुहूर्त-चिंतामणि

अर्थात:- पंचक में तिनकों और काष्ठों के संग्रह से अग्निभय, चोरभय, रोगभय, राजभय एवं धनहानि संभव है।

1. धनिष्ठा नक्षत्र में अग्नि का भय रहता है।

2. शतभिषा नक्षत्र में कलह होने की संभावना रहती है।

3. पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में रोग बढ़ने की संभावना रहती है।

4. उतरा भाद्रपद में धन के रूप में दंड होता है।

5. रेवती नक्षत्र में धन हानि की संभावना रहती है।

*नहीं करते हैं ये कार्य पंचको में:-*

1- दक्षिण दिशा की यात्रा,पलंग,पालना,खटिया का प्रथम उपयोग।

2- लकड़ी इकठ्ठा नहीं करते नहीं घर की लकड़ी की छत डालते।

3- घास,लकड़ी,कंडे इकठ्ठे नही करते।

4- रोग,राज्य,अग्नि,मृत्यु,और चोर पंचको में विवाह नहीं करते।

*रोग पंचक:-* रविवार को शुरू होने वाला पंचक रोग पंचक कहलाता है। इसके प्रभाव से इन पांच दिन शारीरिक और मानसिक परेशानियों वाले होते हैं। इस पंचक में किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। हर तरह के मांगलिक कार्यों में ये पंचक अशुभ माना गया है।

*राज पंचक : -* सोमवार को शुरू होने वाला पंचक राज पंचक कहलाता है। ये पंचक शुभ माना जाता है। इसके प्रभाव से इन पांच दिनों में सरकारी कामों में सफलता मिलती है। राज पंचक में संपत्ति से जुड़े काम करना भी शुभ रहता है।

*अग्नि पंचक : -* मंगलवार को शुरू होने वाला पंचक अग्नि पंचक कहलाता है। इनमें  कोर्ट-कचहरी और विवाद आदि के फैसले, अपना हक प्राप्त करने वाले काम किए जा सकते हैं। इस पंचक में अग्नि का भय होता है। ये अशुभ होता है। इस पंचक में किसी भी तरह का निर्माण कार्य, औजार और मशीनरी कामों की शुरुआत करना अशुभ माना गया है। इनसे नुकसान हो सकता है।

बुधवार एवं गुरुवार के दिन पंचक प्रारम्भ होने पर दोष मुक्त कहे गए है।

*चोर पंचक : -* शुक्रवार को शुरू होने वाला पंचक चोर पंचक कहलाता है।  इस पंचक में यात्रा नहीं करना चाहिए। इस पंचक में लेन-देन, व्यापार और किसी भी तरह के सौदे भी नहीं करने चाहिए। उक्तकार्य करने से धन हानि हो सकती है। 

*मृत्यु पंचक :-* शनिवार को शुरू होने वाला पंचक मृत्यु पंचक कहलाता है। नाम से ही पता चलता है कि अशुभ दिन से शुरू होने वाला ये पंचक मृत्यु के बराबर परेशानी देने वाला होता है। इन पांच दिनों में किसी भी तरह के जोखिम भरे काम नहीं करना चाहिए। इसके प्रभाव से विवाद, चोट, दुर्घटना आदि होने का खतरा रहता है। 

  

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