एक माह चलने बाला माघ माह का पवित्र स्नान 17 जनवरी से प्रारम्भ
हालांकि इस बार कोरोना का रौद्र रूप सामने होने के कारण इस पर प्रतिबंध रहेगा। वैसे तो मुख्य आयोजन प्रयागराज में संगम तट पर होता है।
जैन ने कहा इस बार कोरोना को देखते हुए अपने अपने घरों पर ही गंगाजल युक्त जल से नित ब्रह्म मुहूर्त में स्नान ध्यान करने से वही फल प्राप्त होगा जो प्रयाग के संगम तट पर मिलता है।धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से शास्त्रों में माघ स्नान का बड़ा महत्व है।
शाश्त्रो में कहा है कि माघ मास में प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर स्नान करने से दस हजार अश्वमेघ यज्ञ करने के बराबर फल प्राप्त होता है ।माघ मास में ब्रह्म मुहूर्त में जागकर गंगा, नर्मदा, यमुना, क्षिप्रा आदि पवित्र नदियों सरोवरो में स्नान करने से समस्त पापों, कष्टों का क्षय होता है।
इस माह में दान-पुण्य, बृद्ध, असहाय,रोगियों, माता-पिता की सेवा करने से भी यह शुभ फल प्राप्त होते हैं।
जैन ने बताइस कि व्यक्ति ब्रह्म मुहूर्त में पूरे माह में नियमित स्नान ध्यान करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक चेतना जागृत होती है व्यक्ति निरोगी व दीर्घायु जीवन जीता है। उसके समस्त अरिष्ट ग्रहों की शांति होती है। चाहे शनि ग्रह की महादशा-अंतर्दशा, शनि साढ़ेसाती ,पितृ दोष, ऋण दोषह ,मंगल दोष आदि जन्म कुंडली में क्यो न हो। अगर व्यक्ति नियमित हर वर्ष माघ माह में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान, ध्यान,दान,पुण्य करता है तो घर परिवार में प्रसन्ता, सुख, यस,कीर्ति बढ़ती है समस्त कष्ट-पाप नष्ट होकर व्यक्ति मोक्ष पथ की योर अग्रसर होता है।
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