होम लोन के ब्याज पर 5 लाख तक टैक्स डिडक्शन किया जाए : MPCCI

रीयल एस्टेट सेक्टर में अफोर्डेबल हाउसिंग संबंधी आयकर के प्रावधान में संशोधन किया जाए

केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण, केन्द्रीय मंत्री  ज्योतिरादित्य  सिंधिया एवं  नरेन्द्र सिंह तोमर सहित सांसद विवेकनारायण शेजवलकर को MPCCI ने लिखा पत्र

ग्वालियर । MPCCI अध्यक्ष-विजय गोयल, संयुक्त अध्यक्ष-प्रशांत गंगवाल, उपाध्यक्ष-पारस जैन, मानसेवी सचिव-डॉ. प्रवीण अग्रवाल, मानसेवी संयुक्त सचिव-ब्रजेश गोयल एवं कोषाध्यक्ष-वसंत अग्रवाल ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में अवगत कराया है कि  केन्द्रीय वित्तमंत्री-श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए प्रस्तावित आम बजट में शामिल करने हेतु आज एमपीसीसीआई द्वारा होम लोन के ब्याज पर 5 लाख तक टैक्स डिडक्शन किए जाने एवं रीयल एस्टेट सेक्टर में अफोर्डेबल हाउसिंग संबंधी आयकर के प्रावधान में संशोधन किए जाने की माँग करते हुए, निम्नानुसार पत्र प्रेषित किया गया है ः-

* होम लोन पर 5 लाख हो टैक्स डिडक्शन ः आयकर के सेक्शन 24 के अंतर्गत हाउसिंग लोन के ब्याज पर 2 लाख रुपये तक टैक्स डिडक्शन की लिमिट को बढ़ाकर 5 लाख किया जाना चाहिए । इसके अतिरिक्त प्रिंसिपल अकाउंट पर भी अलग से 1.50 लाख रुपये तक सालाना डिडक्शन का प्रावधान किया जाए । सेक्शन 80 में अलग से प्रिंसिपल अमाउंट पर यह छूट दी जाए । इससे अवश्‍य ही अफोर्डेबल हाउसिंग को बूस्ट मिलेगा । साथ ही, होम बॉयर्स को टैक्स में बड़ी राहत मिल सकेगी ।

* डेवलपर्स को राहत दी जाए  कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित सेक्टर्स में से एक रीयल एस्टेट सेक्टर है । इसलिए आमबजट में इस इण्डस्ट्री को बूस्ट देने के लिए उपाए किए जाने आवश्‍यक है । अतः रियल एस्टेट सेक्टर में निर्माणाधीन अफोर्डेबल हाउसिंग के निर्माण एवं बिक्री में आ रही व्यवहारिक कमियों को दूर करने हेतु आयकर की धारा 80IBA के तहत निर्धारित प्रावधान में निम्नांकित संशोधन किए जाने की महती आवश्‍यकता है l

1. यहकि, वर्तमान में इस श्रेणी के प्रोजेक्ट का विकास एवं निर्माण करने हेतु निर्धारित मापदंडों की पूर्ति करते हुए दि. 31 मार्च,2022 तक समस्त अनुज्ञा प्राप्त करने वाले को मान्यता प्राप्त करने की समय-सीमा के साथ लागू है, जिसे आगामी 31 मार्च,2025 तक के लिए बढ़ाया जाए । इससे सरकार एवं माननीय प्रधानमंत्री जी का देश को आश्‍वासन की विश्‍वसनीयता में अधिकांश लोगों को अपना घर होने का सपना साकार हो सकेगा ।

2. यहकि, वर्तमान में अफोर्डेबल हाउसिंग हाउस के लिए ‘बी श्रेणी’ के शहर में कारपेट एरिया 90 वर्गमीटर क्षेत्रफल की इकाई निर्धारित है, जिसमें म. प्र. भूमि विकास नियम,1984 के प्रावधानों के अनुसार बेडरूम, लिविंग रूम, टॉयलेट, किचन आदि के लिए प्रावधानित नाप व क्षेत्रफल के अनुसार प्लानिंग करने पर अधिकतम 2बीएचके प्रकार की इकाई निर्माण हो पाती है, जबकि ‘वहम दो, हमारे दो” संख्या वाले परिवार की भी आवास पूर्ति हेतु न्यूनतम 3बीएचके वाली इकाई की आवश्‍यकता होती है, जिसकी प्लानिंग में कारपेट क्षेत्रफल को 90 वर्गमीटर से बढ़ाकर 105 वर्गमीटर किया जाना अत्यंत आवश्‍यक है ।

3. यहकि, वर्तमान में अफोर्डेबल हाउस की प्रति इकाई का मूल्यांकन अधिकतम 45 लाख निर्धारित किया गया है । भूमि एवं निर्माण लागत की बढ़ती महँगाई के दौर में यह कीमत अत्याधिक कम है, जिसमें कारपेट क्षेत्रफल 90 वर्गमीटर पर सुपर बिल्ट अप न्यूनतम निर्मित होने वाला क्षेत्रफल 135% होकर 135 वर्गमीटर निर्मित होगा, जिसकी निर्माण लागत न्यूनतम राशि 30 लाख रुपये आएगी और शेष राशि 15 लाख रुपये में भूमि की कीमत एवं मूलभूत सुविधाओं हेतु विकास कार्य लागत नहीं मिल पाती है, इसलिए इस श्रेणी की प्रति इकाई कीमत 60 लाख रुपये निर्धारित की जाना चाहिए ।

4. यहकि, भवन खरीदने वाले आमजन पर डेवलपर्स के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से टैक्स का बोझ कम करने के लिए ठेकेदारी के समानान्तर वाली 12% जीएसटी श्रेणी को समाप्त करते हुए मात्र 1% अफोर्डेबल हाउसिंग एवं 5% जनरल केटेगरी वाली श्रेणी ही इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) की मंजूरी के साथ लागू होना चाहिए । बिना इनपुट टैक्स क्रेडिट अभी अंडर कंस्ट्रक्शन रेजिडेंशियल यूनिट्स पर 5% जीएसटी और अफोर्डेबल हाउसिंग पर 1%  है । वहीं कम्प्लीट यूनिट्स पर कोई जीएसटी नहीं है, जबकि सीमेंट पर 28 फीसदी और स्टील पर 18%  जीएसटी है । कमोडिटी की कीमतों के साथ टैक्स भी बढ़ता जाता है । इनपुट आइटम्स पर चुकाए गए जीएसटी के लिए डेवलपर्स टैक्स क्रेडिट क्लेम नहीं कर सकता और यह कीमत कंस्ट्रक्शन कॉस्ट में जुड़ती है, जबकि सरिया, सीमेंट, टाइल्स आदि जैसे महंगे मटेरियल सभी भवनों (अफोर्डेबल हाउसिंग, ईडब्ल्यूएस, एलआईजी या गंदी बस्ती के पुनर्वास) में उपयोग होते ही है । इससे होमबॉयर्स के लिए अपार्टमेंट की लागत बढ़ जाती है । अब अगर रियल एस्टेट सेक्टर को आईटीसी की मंजूरी दी जाती है, तो इससे डेवलपर्स की टैक्स सेविंग होगी, अपार्टमेंट की कीमतें भी सस्ती होंगी ।

पदाधिकारियों ने माँग की है कि पिछले कई वर्षों से मंदीग्रस्त रियल एस्टेट सेक्टर में कार्यरत व्यवसाईयों को राहत प्रदान करते हुए, वित्तीय वर्ष 2022-23 के प्रस्तावित बजट में आयकर की धारा 80IBA के प्रावधानों में उपरोक्तानुसार अव्यवहारिक विसंगतियों को दूर करते हुए अत्यावश्‍यक संशोधन किए जाएँ ।


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