“एक युद्ध नशे के विरूद्ध” कार्ययोजना लागू करने के लिये धारा-144 के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी

ग्वालियर / जिले की सीमा के अंतर्गत नाबालिक बच्चों को मादक पदार्थों का सेवन करने से रोकने के लिए कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा-144 के तहत अहम प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया है। राष्ट्रीय बाढ़ अधिकार संरक्षण आयोग के दिशा-निर्देशों के तहत जिले में संयुक्त कार्ययोजना “एक युद्ध नशे के विरूद्ध” तैयार की गई है। इसी कार्ययोजना को लागू करने के सिलसिले में धारा-144 के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया गया है। आदेश का उल्लंघन दण्ड प्रक्रिया संहिता के तहत दण्डनीय होगा। 

कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने धारा-144 के तहत जारी किए गए आदेश में स्पष्ट किया है कि जिले के ऐसे स्थान जहाँ पर बच्चों को बीड़ी, सिगरेट एवं अन्य मादक पदार्थों की बिक्री हो रही हो वहाँ विशेष किशोर पुलिस इकाई एवं बाल कल्याण पुलिस अधिकारी दुकानदारों व व्यक्तियों को चिन्हित कर उनके खिलाफ किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम एवं नियमों के तहत प्राथमिकी दर्ज कर सख्त कार्रवाई करें। उन्होंने आदेश में यह भी साफ किया है कि जिले के सभी स्कूलों के 100 मीटर के दायरे में शराब एवं अन्य प्रकार के मादक पदार्थ व तम्बाकू इत्यादि की बिक्री न हो। संबंधित स्कूल के प्राचार्य अपने क्षेत्र के थाना प्रभारी को इस आशय की तत्काल सूचना दें। स्कूलों में आस-पास लगने वाली शराब की दुकानों या अन्य मादक पदार्थ बेचने वाली दुकानों की सीसीटीव्ही कैमरे के जरिए निगरानी रखी जाए। 

आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि नाबालिग बच्चों को शराब बेचना पूर्णत: प्रतिबंधित है। सभी शराब की दुकानों पर जिला आबकारी अधिकारी इस आशय के बोर्ड लगवाने की कार्रवाई सुनिश्चित करें। जिला औषधि नियंत्रक को आदेश के जरिए निर्देशित किया गया है कि ऐसे मेडीकल स्टोर व फार्मेसी जहां पर शेड्यूल एक्स या एच दवाओं की बिक्री की जाती है वहाँ पर दण्ड प्रक्रिया संहिता का पालन करते हुए 6 माह के भीतर अनिवार्यत: सीसीटीव्ही कैमरा लगवाएँ। साथ ही एक माह के भीतर किन-किन जगहों पर सीसीटीव्ही कैमरा लगवाए गए हैं उसकी सूची महिला एवं बाल विकास विभाग को उपलब्ध कराई जाए। 

प्रतिबंधात्मक आदेश में यह भी उल्लेख किया गया है कि चिल्ड्रन क्लब के अंतर्गत विभिन्न क्लबों मसलन ईको क्लब, सांस्कृतिक क्लब, रेड रिबिन क्लब, भारत स्काउट एण्ड गाइड, एनसीसी, एनएसएस इत्यादि के माध्यम से बच्चों को मादक पदार्थों के सेवन से बचाने के लिये व्यापक स्तर पर जन जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएं। जिला शिक्षा अधिकारी जिले के छठवीं से बारहवीं कक्षा तक के सभी विद्यालयों में एक समिति गठित करें, जिसमें दो – तीन अध्यापक भी शामिल हों। यह समिति विद्यार्थियों को नशीली दवाओं व मादक द्रव्यों के दुष्प्रभावों की जानकारी दें, जिससे बच्चे नशे से दूर रह सकें। स्कूल शिक्षा विभाग को ऐसे शिक्षकों को चिन्हित कर प्रशिक्षित करने के निर्देश भी दिए गए हैं जो मादक पदार्थों का सेवन करने वाले बच्चों की बेहतर ढंग से काउंसलिंग कर सकें। 


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