होली दहन से आठ दिन पहले से होलाष्टक लग जाते है। इनमें शुभ कार्य नहीं करते।
सुप्रशिद्ध ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने जानकारी में कहा।
फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से पूर्णिमा के बीच होलाष्टक के आठ दिनों के बीच विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, मकान-वाहन की खरीदारी आदि किसी भी शुभ कार्य के मुहूर्त नहीं होते। लेकिन पूजा-पाठ धर्म कार्यो पर कोई रोक नहीं होती।
10 मार्च से होलाष्टक लग गए थे जो 18 मार्च होलिका दहन के साथ ही समाप्त हो जाएंगे ।
होलिका दहन से आठ दिन पहले के ये दिन भक्त प्रहलाद के लिए काफी कष्टकारी थे, इसलिए इन्हें अशुभ माना गया है।इसलिए इन दिनों में कोई शुभ काम नहीं किया जाता है।
नव विवाहिता को मायके में पहली बार होली मानना चाहिए।
*होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त :-* जैन ने कहा चतुर्दशी युक्त पूर्णिमा में 17 मार्च गुरुवार के दिन जलेगी होली- 17 मार्च को दोपहर 01:29 बजे से पूर्णिमा तिथि 18 मार्च को दोपहर 12:47 बजे तक ही है।
भद्रा रहित प्रदोष व्यापिनी फाल्गुन पूर्णिमा में होलिका दहन किया जाता है। इस साल यह चतुर्दशी युक्त गुरुवार के दिन 17 मार्च को पूर्णिमा प्रदोष व्यापिनी है। लेकिन भद्रा भी 17 मार्च को 01:29 से रात 01:12 बजे तक रहेगी।
18 मार्च को प्रदोष काल में पूर्णिमा तिथि नहीं मिलेगी।
इसलिए 17 मार्च गुरुवार को ही चतुर्दशी युक्त भद्रा के पुच्छ काल मे रात 09:20 बजे से रात 10:31बजे तक होलिका दहन शास्त्र सम्मत रहेगा।
18 मार्च होली खिलेगी। 22 मार्च को रंग पंचमी का त्यौहार मनाया जाएगा।
18 मार्च को धुलैंडी पर्व मनेगा
19 मार्च को बसन्तोत्सव
20 मार्च को संत तुकाराम जयंती
21 मार्च को चतुर्थी व्रत,चंद्रोदय
22 मार्च को रंगपंचमी का त्यौहार मनेगा।
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