मेरे पास ऐसे अनेक लोगों के प्रश्न या शंका समय समय पर आती है।
कि राहू काल है रोग, काल, उद्वेग की चोघड़िया है । या यमघण्टक, भद्रा,गुलिक काल,पंचक आदि है तो क्या मुहूर्त या कार्य आरंभ करें।
*समाधान-* यदि राहू काल,गुलिककाल,भद्रा,पंचक,काल,रोग,उद्वेग चौघड़िया,यमद्रष्टा, या अन्यान्य कुयोग है और सुयोग आ जाये तो कुयोग के (बुरे फल) नाश होकर शुभ फल ही होता है।अतः उसमे कार्य सम्पादन किया जाना चाहिए।
*अयोगे सुयोगेअपि हेतु स्यात्तदानीमयोगं निहत्तयेष सिद्धि तनोति।*
*परे लग्नशुद्धया कुयोगादिनाशं दिनार्द्वतरम विष्टिपूर्वंच शस्तम,।।*
कार्य भेद से लग्नशुद्धि का विचार विचार अवश्य ही करें। सामान्यतः लग्न से 4,8,12 स्थान शुद्ध हो 3,6,11 स्थानों में पाप ग्रह हो,केंद्र व त्रिकोण में शुभ ग्रह हो,अपनी राशि से 3,6,10,11 वी लग्न राशि होनी चाहिए।राशि से 4,8,12 वा चन्द्रमा नहीं होना चाहिए।
यथा- *यत्रलगन्म बिना किंचित क्रियते शुभ शुभ संज्ञकम,।तत्र तेषांमयोगानां प्रभावाज्ज़ायते फलम,।।*
ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ग्वालियर
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