फूलों से सजी स्पेशल ट्रेन में खान-पान व्यवस्था के साथ रहेगी भजन मंडली
रानी कमलापति स्टेशन से 19 अप्रैल को वाराणसी रवाना होंगे प्रदेश के तीर्थ-यात्री
तीर्थ-यात्रियों से भेंट करने मुख्यमंत्री चौहान पहुँचेंगे रानी कमलापति स्टेशन
सागर स्टेशन से यात्रा प्रारंभ करेंगे तीन जिलों के तीर्थ-यात्री
मुख्यमंत्री चौहान ने बैठक लेकर जानीं तीर्थ-यात्रा की तैयारियाँ
ग्वालियर / मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि बुजुर्गों के जीवन काल में एक बार किसी बड़े तीर्थ-स्थान की यात्रा के स्वप्न को मध्यप्रदेश सरकार ने साकार करने का कार्य किया है। मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना को पूरी तैयारियों के साथ फिर प्रारंभ किया जा रहा है। संबंधित विभाग और एजेंसियाँ तीर्थ-यात्रियों के लिए सभी आवश्यक सुविधाएँ सुनिश्चित करें।
मुख्यमंत्री श्री चौहान आज निवास पर हुई बैठक में तीर्थ-दर्शन योजना का पुन: क्रियान्वयन प्रारंभ किए जाने की तैयारियों की जानकारी ले रहे थे। मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस, प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति श्री शिव शेखर शुक्ला और अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि वे स्वयं 19 अप्रैल को दोपहर दो बजे रवाना हो रही स्पेशल ट्रेन के तीर्थ-यात्रियों से भेंट करने पहुँचेंगे। इन यात्रियों को वाराणसी में भगवान विश्वनाथ के दर्शन के साथ संत रविदास और संत कबीर दास के जन्म स्थल के दर्शन भी करवाए जाएंगे। तीर्थ-यात्रियों की वापसी 22 अप्रैल को होगी।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने तैयारियों की जानकारी ली और तीर्थ-यात्रियों की सुविधाओं एवं यात्रा अवधि में भोजन, गंतव्य तीर्थ-स्थल पर रहने-खाने की समुचित व्यवस्था के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि तीर्थ-दर्शन योजना को प्रारंभ कर मध्यप्रदेश, देश में अलग स्थान बना चुका है। बुजुर्ग लोगों का आशीर्वाद राज्य सरकार को मिला है। कोरोना काल के बाद योजना फिर प्रारंभ हो रही है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि योजना के अच्छे क्रियान्वयन के लिए सभी प्रबंध सुनिश्चित किए जाएँ। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार पहली यात्रा भोपाल से 19 अप्रैल दोपहर को रवाना होकर 20 अप्रैल की सुबह वाराणसी पहुँचेगी और 20 एवं 21 अप्रैल को तीर्थ-यात्री भगवान विश्वनाथ के दर्शन कर गंगा आरती में भी शामिल होंगे। तीर्थ-यात्री 22 अप्रैल को गृह प्रदेश लौटेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि तीर्थ-यात्रियों को लौटते समय भगवान विश्वनाथ का स्मृति-चिन्ह भेंट किया जाए।
वाराणसी यात्रा के लिए की गई व्यवस्थाएँ
बैठक में बताया गया किमुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना में भोपाल संभाग के चार जिले और सागर संभाग के तीन जिलों के 974 यात्री जायेंगे। भोपाल संभाग के भोपाल, सीहोर, विदिशा, रायसेन से 770 यात्री और सागर संभाग के सागर, दमोह और टीकमगढ़ जिले शामिल होंगे। इनमें 204 यात्री भोपाल जिले से 617, विदिशा से 51, रायसेन से 51 और सीहोर से 51 यात्री जाएंगे। सागर संभाग में सागर जिले से 102, दमोह से 51 और टीकमगढ़ जिले से 51 यात्रियों का चयन किया गया है। एक विशेष व्यवस्था यह की गई है कि ट्रेन में भजन मंडली भी रहेगी। भजन मंडली के सदस्य यात्रा के दौरान समयानुकूल भजन गाते रहेंगे। यात्रा 19 अप्रैल को विशेष ट्रेन से रानी कमलापति स्टेशन से प्रारंभ होगी। सागर स्टेशन होते हुए ट्रेन 20 अप्रैल की प्रात: 6 बजे वाराणसी पहुँचेगी। स्टेशन पर तीर्थ- यात्रियों का स्वागत ढोल-नगाड़ों से किया जाएगा। साथ ही तीर्थ-यात्रियों को तुलसी की माला पहनाई जाएगी। तीर्थ-यात्रा पर जा रहे यात्रियों के लिए रानी कमलापति स्टेशन पर स्वल्पाहार की व्यवस्था रहेगी। फूलों से सजी ट्रेन में तीर्थ-यात्री निर्धारित सीट पर बैठेंगे। भोपाल सहित विदिशा, सीहोर और रायसेन जिलों के तीर्थ-यात्री रानी कमलापति स्टेशन से रवाना होंगे। वाराणसी से 21 अप्रैल की शाम 6:30 बजे वाराणसी से वापस रवाना होंगे। तीर्थ-यात्रियों की वापसी 22 अप्रैल की प्रात: 7:30 बजे सागर और पूर्वान्ह 11 बजे रानी कमलापति स्टेशन पर होगी।
सागर स्टेशन से तीन जिलों के यात्री होंगे शामिल
स्पेशल ट्रेन 19 अप्रैल को दोपहर दो बजे भोपाल स्टेशन से रवाना होने के बाद शाम 6 बजे सागर स्टेशन पहुँचेगी। यहाँ से सागर दमोह और टीकमगढ़ के चयनित तीर्थ-यात्री शामिल होंगे। वापसी में तीर्थ-यात्रियों को निर्धारित वाहन से रहवास स्थल तक पहुँचाया जाएगा। मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम के अधिकारी भी वाराणसी में आवश्यक व्यवस्थाएँ सुनिश्चित कर चुके हैं।
योजना की विशेषताएँ
मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना में पात्रता के लिए मध्यप्रदेश का मूल निवासी होना आवश्यक है। तीर्थ-यात्री की उम्र 60 वर्ष से अधिक होना चाहिए। महिलाओं के संदर्भ में दो वर्ष की छूट दी जाती है। तीर्थ-यात्री आयकरदाता न हो और शारीरिक और मानसिक रूप से सक्षम होना चाहिए। किसी संक्रामक रोग से ग्रस्त न हो, यह भी आवश्यक है। यात्रा के लिए सक्षम 60 प्रतिशत से अधिक दिव्यांग व्यक्ति के लिए आयु सीमा का बंधन नहीं है। योजना में जो व्यक्ति तीर्थ-यात्रा कर आए हैं, वे पाँच वर्ष बाद ही पुन: यात्रा के लिए पात्र होंगे। योजना के संचालन के लिए आईआरसीटीसी को एजेंसी बनाया गया है। तीर्थ-यात्रियों की सुविधा का जिम्मा भी आईआरसीटीसी का ही है। तीर्थ-यात्रियों की पंजीयन प्रक्रिया को पूर्णत: पारदर्शी और ऑन लाइन करने के लिए मैप आईटी एक पोर्टल भी बना रहा है। ट्रेन के टूर पैकेज में ऑन बोर्ड एवं ऑफ बोर्ड पर भोजन, सड़क परिवहन, बजट, आवास, टूर एस्कार्ट्स भी शामिल हैं। तीर्थ-यात्रियों को सुबह और शाम की चाय और यात्रा के दौरान फलाहार भी करवाया जाता है। राज्य शासन द्वारा एक चिकित्सक और सहायक के साथ औषधियों की व्यवस्था भी ट्रेन में की जाती है। सुरक्षा के लिए रेलवे के सुरक्षा बल के साथ ही राज्य सरकार अपने सुरक्षाकर्मी भी भेजती है।
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