नक्षत्रों का राजा पुष्य नक्षत्र दीपावली से पहले खरीद दारी के लिए क्यों शुभ मुहूर्त है


वर्ष के सभी पुष्य नक्षत्रों में कार्तिक पुष्य नक्षत्र का विशेष महत्व है, क्योंकि इसका संबंध कार्तिक मास के प्रधान देवता भगवान लक्ष्मी नारायण से है।

ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने यह कहते हुए बताया कि

 पुष्य नक्षत्र शुभ कार्यों के लिए बहुत ही श्रेष्ठ माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्र माने गए हैं। इनमें 8 वे स्थान पर पुष्य नक्षत्र आता है। यह बहुत ही शुभ नक्षत्र माना जाता है। इसे नक्षत्रों का राजा भी कहा जाता है। दिवाली के अवसर पर पड़ने वाला पुष्य नक्षत्र साल में सबसे बड़ा व सर्वाधिक फलदायी बताया गया है। इस बार यह 18 अक्टूबर को पूरे दिन रात रहेगा 

 मान्यता है कि दिवाली से पहले पुष्य नक्षत्र में अपने आराध्य देव और कुलदेवता की पूजा करनी चाहिए।

महत्वपूर्ण खरीदी -

कहा जाता है कि पुष्य नक्षत्र के दिन वैसे तो सभी प्रकार की वस्तुओ की खरीद दारी,नए बही खाते और पेन आदि खरीदकर व्यापारिक प्रतिष्ठान में रखने चाहिए। इस वार यह मंगलवार के दिन होने से भूमि, प्रोपर्टी,इलेक्ट्रॉनिक सामान, वाहन और सोने-चांदी के आभूषण की खरीद भी बड़े पैमाने पर होगी। ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन साल को सबसे बड़ा व शुभ मुहूर्त होता है। पुष्य नक्षत्र खरीदी गई चीजें दिन दोगुनी बढ़ती हैं। यही वजह है कि इस दिन सोने की खरीददारी दिवाली से ज्यादा की जाती है।

एकाक्षी नारियल -

पुष्य नक्षत्र पर एकाक्षी नारियल का पूजन करने से घर में कभी भी पैसों की कमी नहीं रहती है। इसे साक्षात देवी मां लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। 

जैन ने लक्ष्मी वृद्धि के लिए बताया अगर पुष्य नक्षत्र के दिन एकाक्षी नारियल की विधि ,विधान से पूजा की जाए तो घर में धन और वैभव बना रहता है।

इसके अलावा  धनतेरस के दिन खरीदारी के लिए 22 अक्टूबर  को सुबह 06.02 मिनट से अगले दिन 23 अक्टूबर  को शाम 06.03 मिनट तक शुभ मुहूर्त है। भी सभी प्रकार की खरीद दारी के लिए शुभ रहेगा।

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