आज कल हर घरों में फर्निचर लगना शुरू हो गया। विना इसके घर को लोग अधूरा समझने लगे हैं।
घर की सजावट में फर्निचर का आज कल बहुत महत्व बढ़ गया है।
लेकिन हम फर्निचर किस पेड़ की लकड़ी से बना है इस पर ज्यादा ध्यान नहीं देते। कई बार ऐसा होता है कि अगर फर्निचर दिखने में आकर्षक हो तो हम ये भी नहीं देखते हैं कि किस लकड़ी का बना है। ऐसे में हम कई बार आनन-फानन में मनहूस फर्निचर उठा लाते हैं और धीरे धीरे मुसिबत से घिर जाते हैं।
कुछ फर्निचर ऐसे होते हैं जो आपके घर को धीरे धीरे बरबाद करने लगते हैं। ऐसे फर्निचर वास्तु के अनुसार अशुभ पेड़ की लकडिय़ों के बने होते हैं जिनसे घर में अशांति, रोग और खर्च बढऩे लगता है। और फिर धीरे धीरे कब घर में अनेक प्रकार की मुसिबत पूरे घर के सदस्यों को अपनी चपेट में लेलेती है पता ही नहीं चलता ।
वास्तु में बहेड़ा, पीपल और बड़ के पेड़ की लकडिय़ों के फर्निचर को अशुभ और रोग देने वाला माना है। ऐसी लकडिय़ों से बनें फर्निचरों के उपयोग करने से बचें।
सस्ते और अधिक मुनाफा के चक्कर में इन का प्रयोग बनाने वाले लकड़ी पर कलर कर के कर रहे हैं।
वास्तु के अनुसार घर में फर्नीचर बनवाने के लिए वटवृक्ष, पाकर, कैथ, करंज, गूलर आदि वृक्ष की लकडिय़ों का भी उपयोग करने से बचें। अगर आप इन लकडिय़ों का उपयोग करते हैं तो ऐसा करने पर सुख का नाश होता है। साथ ही ऐसे फर्निचर जिन पर अशुभ आकृति होती है वे भी आपके घर को बरबाद ही करते हैं चाहे धीरे-धीरे ही सही। ध्यान रखें सिंह, गिद्द, बाज या अन्य हिंसक पशुओं की आकृति आपके फर्निचर पर नहीं होना चाहिए। ऐसा होने पर वह मानसिक विकार उत्पन्न करती है। जो कलह का कारण होता है। जहां तक हो घर में शीशम, महुआ, अर्जून, बबूल, खैर, नागकेशर वृक्ष की लकड़ी के फर्नीचर काम में लेना ही उचित हैं।
इन लकडिय़ों का फर्नीचर घर का वातावरण शांत और समृद्धि बढ़ाने वाला बनाते है।
अन्य ऊपर कही गई वृक्ष की लकड़ी से फर्निचर तैयार नहीं कराए साथ ही हिंसक जानवरो युक्त फर्निचर भी घर में लाकर न लगाए और अनेक मुसिबतों से बचे।
साथ ही घरों में टूटा हुआ , सडा हुआ, मकान की छत पर बेकार फर्निचर हो तो तुरंत बाहर निकाल दे चाहे फ्री में ही किसी को देंदे।
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