सूर्य की राशि परिवर्तन (बृश्चिक संक्रान्ति) से राजनीतिक आपसी विरोध और ठंड बढ़ेगी

 

सूर्य सभी नो ग्रहों में सबसे ज्यादा बलवान ग्रह है इसलिए इसे ग्रहों का राजा भी कहा जाता है।
यह हर माह  राशि बदलता है एक माह ही एक राशि में रहता है जब दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो इस संक्रमण को सूर्य की संक्राति  कहते है।
ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने कहा सूर्य सक्रांति का बहुत बड़ा महत्व है।
सूर्य 16 नवम्बर को शाम के 07:14 बजे शुक्र की तुला राशि से अपने मित्र मंगल की बृश्चिक राशि मे संक्रमण कर रहा है। इस के बाद एक माह तक इस का शनि ग्रह से त्रिएकादश योग केतू से द्वादश योग और राहू ग्रह से षडाष्टक योग बन जायेगा।
इस योग से राजनैतिक हल चल तेज होगी आरोप प्रत्यारोप बढ़ेंगे छोटी छोटी पार्टियों से सत्ता धारी पार्टी की मुश्किलें बढ़ेगी।
ठंड, कोहरा कही कही वर्षा,सीत लहर बढ़ेगी।
जैन ने कहा बृश्चिक संक्रानि बुधवारी 30 मुहूर्त्ती होने से व्यापारिक वस्तुओ की तेजी मंदी पर असर करेगी। चाँदी, चावल,गुड़,खांड, कपास, सूत मंदे होंगे और खाद्यन्न में कमी आएगी। सुपारी,तांबा, लाल मिर्ची,ऊनी कपड़े,सरसों, गेंहू,नारीयल तेजी में आएंगे।
*राशियों पर भी होगा असर*:- मेष - बालो को स्वास्थ्य,हार्ट सबंधी,प्रोब्लम बढ़ेगी।
वृष - पत्नी से आपसी कहा सुनी से बचे,भूमि लाभ
मिथुन - शत्रुओ पर विजय ,यात्राओं से लाभ
कर्क - संतान को उन्नति,परिवार में मंगल कार्य
कन्या - लंबी दूरी की यात्रा से कष्ट,धन हानि
तुला - धन लाभ,सम्मान,परिवार का सहयोग।
बृश्चिक - शिर दर्द,शरीर मे पीड़ा ,सर्दी का प्रभाव
धनु - अशांति,धन हानि यात्राओं में कष्ट
मकर - पत्नी को कष्ट ,घरेलु अशांति संतान से लाभ
कुंभ - सफलता,पद,प्रतिष्ठा बृद्धि पिता का सहयोग।
मीन - धर्म कार्यो में रुचि,धार्मिक यात्रा, भाग्य बृद्धि,पिता से सहयोग रहेगा।
*क्या करें ?*:- जिन के लिए सूर्य अच्छे फल नहीं दे रहे और जिन्हें और अधिक सूर्य के शुभ फल चाहये उन्हें सूर्य को जल ने लाल फूल या रोली डालकर  अर्घ देकर घी का दीपक जलाकर सूर्य का ध्यान करते हुए सूर्य मन्त्र - ॐ घृणि: सूर्याय नमः की अथवा गायत्री मंत्र की एक माला प्रतिदिन सुबह पूर्व दिशा की तरफ मुख करके जाप करना चाहिए।
गेंहू व गुड़ गाय को खिलाना चाहिए।
*जैन धर्म मानने वाले को* अपने धर्म के अनुसार ही भगवान पद्मप्रभु का नित अभिषेक,पूजन,चालीसा और मन्त्र जाप - ॐ ह्रीं श्रीं पद्मप्रभुजिनेन्द्राय नमः मम सूर्य ग्रह अरिष्ट शांति कुरू कुरू स्वाहा।
एक माला नित प्रातः पूर्व मुख कर घी का दीप लगा कर करना चाहिए। 

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