मैं किसी योग्य न था भगवन, वस नाम पुलकसागर जी जपता था,
लेकर मन में वस एक उमंग, प्रभु नाम पुलकसागर जी भजता था।मैंने सुना था भगवन स्वयं, भक्तों के कष्ट मिटाते हैं,
और कष्ट नहीं होने देते वे,
अपने समान बना लेते है।
अमृत इनकी वाणी में है, पुलकसागर जी नाम तुमहरा है।
इसे परम तपस्वी गुरु को, सौ सौ बार प्रणाम हमारा है।।
ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ग्वालियर मो 9425187186
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