यू तो हर माह में दो बार एकादशी तिथि आती है एक बार कृष्ण पक्ष की तो दूसरी शुक्ल पक्ष की लेकिन कुछ एकादशी का बड़ा ही महत्व है और इस दिन व्यक्ति अपने मन, वचन,कर्म की शुद्धि रखते हुए बड़ी श्रद्धा भाव से व्रत रखते हैं और पुण्य कमाते हैं।
ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने बताया कि षटतिला एकादशी का यह व्रत माघ मास कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है। इस में छः प्रकार से तिल का प्रयोग किया जाता है इसलिए ही इसे शटतिला एकादशी कहा जाता है।
इस बार यह एकादशी व्रत 18 जनवरी बुधवार को है व्रत का पारणा 19 जनवरी गुरुवार को सुबह 07:14 बजे से 09:21 बजे तक रहेगा।
इस व्रत को हर वर्ष विधि विधान से करने से व्यक्ति की मनोकमना पूरी होकर दरिद्रता दूर होती है।
षटतिला एकादशी के दिन तिल का छ: प्रकार का उपयोग करने से सभी पापों का नाश होता है और बैकुंठ की प्राप्ति होती है।
एकादशी व्रत घर में सुख-शांति देने वाला माना गया है। अत: षटतिला एकादशी के दिन उपवास के साथ-साथ तिल का दान अवश्य करें।
इतना ही नहीं षटतिला एकादशी व्रत आरोग्य तथा सुखी दांपत्य जीवन भी देता है।
*छः प्रकार से तिल का उपयोग कैसे करें*:-
1 तिल युक्त जल से स्नन,
2 सफेद तिल का उबटन,
3 तिल का हवन
4 तिल का तर्पण
5 तिल का भोजन
6 और तिल का दान
*और क्या करे?*
दीप ,धूप नैवेद्य आदि से भगवान का पूजन करें
फिर पेठा,नारियल,सीता फल ,सुपरी का अर्घ्य देकर भगवान की स्तुति करे ऐसा करने से मनुष्य के समस्त पाप कष्ट नष्ट होकर श्रेष्ठ पुण्य फल प्राप्ति होती है।
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