जब शनिश्चरी अमावस्या होती है तो शनि मंदिरों में शनि की पीड़ा से शांति पाने बालो की भीड़ देखी जा सकती है। शनि मंदिर वाले क्षेत्रों पर कोई अपने पुराने वस्त्र त्याग कर आता है कोई बाल,कोई जूते चप्पले और साथ ही सरसों का तैल,तिल युक्त वस्तुओं को दान किया जाता है।
वरिष्ट ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन का कहना है इस मौनी अमावस्या पर अदभुत संयोग तीस साल बाद बन रहा है। तीस साल बाद जब शनि अपनी ही कुंभ राशि में रहेंगे और शनिवार, माघ मास, मोनी अमावश्या होगी। इस तिथि के दिन ही पूर्वाषाढ़ और उत्तराषाढ दो नक्षत्र, हर्षण और वज्र दो योग, चतुष्पद करण का संयोग बन रहा है। इसलिए इस बार मोनी अमावस्या का विशेष पुण्य फल कई गुना बढ़ गया।
जैन ने कहा माघ में पड़ने वाली अमावस्या सबसे अधिक महत्वपूर्ण सभी अमावस्याओं में से एक मानी गई है।इसे माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या भी कहते हैं।इस बार मौनी अमावस्या 21 जनवरी 2023 शनिवार के दिन है।
यही नहीं इस बार मौनी अमावस्या पर 30 सालों बाद ऐसा शुभ संयोग बनने जा रहा है जो बेहद शुभफलदायी साबित होगा।
इस दिन पवित्र तीर्थ स्थल पर नदी, तालाब में जाकर स्नान,या गंगा जल युक्त जल से स्नान दान का विशेष विधान है।
मान्यता है कि इस दिन मनुष्य को मौन रहना चाहिए।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मुनि शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई है। इसलिए इस दिन मौन रहकर व्रत करने वाले व्यक्ति को मुनि पद की प्राप्ति होती है। इस अवसर पर पवित्र तीर्थ,नदी पर स्नान करने से पितृ दोष, कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है साथ ही जिन राशियों पर शनि की साढ़े साती (मकर,कुंभ, मीन ) और शनि की ढैया कर्क,वृश्चिक पर इस समय शुरू है 17 जनवरी 2023 से उनके लिए यह अमावस्या वरदान साबित होगी।
इस दिन शनि को प्रसन्न करके शुभ फल प्राप्त कर सकते हैं।
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