छत्र,शिव, सर्वार्थ सिद्धि योग में बसंत पंचमी 25 या 26 जनवरी को

सारी ऋतुओं में बसंत ऋतु सबसे सुंदर ,मनमोहक ऋतुओ से एक है।इस समय चारो तरफ खेतो में सरसों के पीले फूल और हरियाली जहा जहा तक नजरे जाती है दिखाई देती है। मौसम न अधिक ठंड का न गर्मी का रहता है। पेड़ो भी पुराने पत्ते छोड़ कर नए पत्ते उगाते हैं।

वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने बताया कि इस बार 

 माघ माह की पंचमी  तिथि यानी बसंत पंचमी की तिथि का आरंभ 25 जनवरी को दोपहर में 12 बजकर 34 मिनट पर हो रहा है और इसका समापन 26 जनवरी को सुबह 10 बजकर 28 पर होगा। इसलिए उदया तिथि और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बसंत पंचमी 26 जनवरी 2023 गुरुवार  को मनाई जाएगी।

इस दिन छत्र, शिव योग के साथ साथ सर्वार्थ सिद्धि योग भी गुरुवार के संयोग में आयेगा यही नहीं इस बार राज पंचक और नवरात्र का पूरा संयोग भी रहेगा। इसलिए आने वाली बसंत ऋतु में अनाज,फल, फूल की उत्तपत्ति उत्तम होगी। आम अधिक उत्पन्न होंगे जनता खुशहाल , उमंग के साथ रहेगी। 

 *26 जनवरी को बसंत पंचमी का पूजा मुहूर्त* 

सुबह 07 बजकर 07 मिनट से लेकर दिन में 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा श्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा। 

 जैन ने कहा बसंत पंचमी को श्रीपंचमी, ज्ञान पंचमी और मधुमास के नाम से जाना जाता है। इस दिन ज्ञान वृद्धि के लिए और प्रतियोगिता में सफलता प्राप्त करने के लिए छात्र/छात्राओं  को सरस्वती मां का पूजन अवश्य ही करना चाहिए।

कहा जाता है कि इस दिन से बसंत ऋतु का आगमन हो जाता है। इस दिन से सर्दियां समाप्त हो जाती है। इस दिन संगीत और ज्ञान की देवी की पूजा करने से व्यक्ति की बुद्धि तेज होती है। इस दिन किसी मांगलिक कार्य की शुरुआत करना भी काफी शुभ माना जाता है। बसंत पंचमी से बच्चे की पढ़ाई की प्रथम  शुरुआत करवाई जाए तो वो बहुत ही बुद्धिमानी से आगे बढ़ता है।

बसंत पंचमी पूर्वी भारत, पश्चिमउत्तर बांग्लादेश,नेपाल सहित कई राष्ट्रों में उमंग के साथ  इसे मनाया जाता है। इसलिए इसे ऋतुराज कहा जाता है।

*बसंत पंचमी पूजन विधि* 

बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती जी की पूजा की जाती है। बसंत पंचमी के दिन जल्दी स्नान करके पीले वस्त्र धारण करें। इस दिन पूरे विधि विधान के साथ मां सरस्वती की आराधना करें।पीले पुष्प से मां सरस्वती जी का पूजन कर पीले चावल भोजन ही इस दिन ग्रहण करे।

 कहा जाता है विधि अनुसार  पूजा करने से पढ़ाई में,व्यापार में,नोकरी,रोजगार में वैवाहिक जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं। मां सरस्वती की प्रतिमा को पीले रंग के कपड़े पर स्थापित करें।

उनकी पूजा में रोली, मौली, हल्दी, केसर, अक्षत, पीले या सफेद रंग का फूल, पीली मिठाई आदि चीजों का प्रयोग करें। इसके बाद मां सरस्वती की वंदना करें और पूजा के स्थान पर वाद्य यंत्र और किताबों को रखें। बच्चों को पूजा स्थल पर बैठाएं। इस दिन से बसंत का आगमन हो जाता है इसलिए देवी को गुलाब अर्पित करना चाहिए। हल्दी,गुलाल से एक-दूसरे को टीका लगाना चाहिए।  मां सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी जैसे अनेक नामों से भी पूजा जाता है।

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