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समाधान ऐसा हो कि दोनों पक्षों को अपनी जीत महसूस हो – न्यायमूर्ति श्री आर्या

“समाधान आपके द्वार” योजना के तहत आयोजित प्रशिक्षण में 9 जिलों के राजस्व, पुलिस, विद्युत व वन विभाग के अधिकारी हुए शामिल 

न्यायमूर्ति  आर्या ने कहा कि आपसी समझौते से हुए समाधान से शांति, भाईचारा व स्थायित्व कायम होता है


  

ग्वालियर 15 जनवरी / आपसी विवादों का समाधान इस प्रकार से करें कि दोनों ओर के पक्षकारों में से न किसी को अपनी जीत लगे और न किसी को हार । अपितु दोनों पक्षों में एक तरह से ऐसी भावना पनपे कि सभी को अपनी जीत महसूस हो। इस आशय का आह्वान उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर के प्रशासनिक न्यायाधिपति एवं उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री रोहित आर्या ने “समाधान आपके द्वार” योजना पर आयोजित हुए प्रशिक्षण कार्यक्रम सह परिचर्चा में मौजूद उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर के कार्यक्षेत्र के जिलों से आए विभिन्न विभागों के अधिकारियों से किया। उन्होंने कहा कि इस योजना का मूल विचार यह है कि मुकदमेबाजी शुरू होने से पहले ही आपसी समझौते से विवाद का निपटारा हो जाए।  

संभागीय आयुक्त श्री दीपक सिंह, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक श्री डी श्रीनिवास वर्मा, उच्च न्यायालय के प्रिंसिपल रजिस्ट्रार एवं विधिक सेवा समिति के सचिव श्री देवनारायण मिश्र एवं मुख्य महाप्रबंधक मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी श्री राजीव गुप्ता की मौजूदगी में “समाधान आपके द्वार” योजना पर रविवार को यहाँ उच्च न्यायालय खंडपीठ ग्वालियर में स्थित राज्य न्यायिक अकादमी के सभागार में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस प्रशिक्षण में ग्वालियर – चंबल संभाग के सभी 8 जिलों एवं विदिशा जिले से आए राजसव, पुलिस, वन, विद्युत व अभियोजन विभाग एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के विधिक सहायता अधिकारियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में उच्च न्यायालय अभिभाषक संघ के सचिव श्री दिलीप अवस्थी व अन्य अधिवक्तागण शामिल हुए। 

गाँवों के 85 प्रतिशत मामले जिला न्यायालयों से संबंधित 

न्यायमूर्ति श्री रोहित आर्या ने कहा कि भारत की लगभग 80 प्रतिशत जनता गाँवों में निवास करती है। गाँवों के 85 प्रतिशत मामले जिला न्यायालयों से प्रचलित हैं। केवल 15 प्रतिशत मामले उच्च न्यायालय एवं मात्र 8 प्रतिशत मामले उच्च न्यायालय में विचाराधीन हैं। इससे समझा जा सकता है कि जिला न्यायालयों पर मुकदमों का कितना बोझ है। जिला न्यायालय से मुकदमों का बोझ कम करने और ग्रामीणों को त्वरित न्याय दिलाने में समाधान आपके द्वार योजना अत्यंत उपयोगी साबित हो सकती है। उन्होंने कहा कि एक ग्रामीण निर्धन व्यक्ति मुकदमेबाजी के दाँव-पेंच को नहीं समझता। वह अपने प्रकरणों के निराकरण के लिये जिला न्यायालयों पर निर्भर है। न्याय प्राप्त करने में समय तो लगता ही है, उसका समय और धन भी खर्च होता है। ऐसे में लोक सेवकों का दायित्व है कि वे ग्रामीण जनता को सामधान आपके द्वार योजना का महत्व समझाते हुए तत्काल, त्वरित एवं सस्ता न्याय उसके द्वार पर ही उपलब्ध कराएँ। इससे लोगों की समस्या का समाधान तो होगा ही, साथ ही ग्रामीणों में आपसी भाईचारा, स्थायित्व एवं लोक शांति कायम होगी। 

मिशन मोड पर काम कर “समाधान आपके द्वार” योजना को सफल बनाएँ – संभाग आयुक्त  सिंह 

संभाग आयुक्त श्री दीपक सिंह ने प्रशिक्षण में मौजूद अधिकारियों से कहा कि मिशन मोड पर काम कर “समाधान आपके द्वार” योजना के तहत लोगों की समस्याओं को आपसी सुलह-समझौते के आधार पर निपटाएँ। उन्होंने कहा हमारे थोड़े से प्रयास से बहुत से ऐसे दीवानी मामलों को गाँव में ही निपटाया जा सकता है जो आगे चलकर फौजदारी मामलों का रूप ले लेते हैं। हमारे प्रयास ऐसे हों कि न्यायालयीन प्रकरण बनने से पहले ही उसका समाधान हो जाए। संभाग आयुक्त श्री सिंह ने जानकारी दी कि ग्वालियर-चंबल संभाग के सभी जिलों में 8 – 10 ग्रामों का क्लसटर बनाया गया है। जहाँ “समाधान आपके द्वार” की त्रि-स्तरीय व्यवस्था के तहत प्रकरणों का समाधान किया जायेगा। उन्होंने भरोसा दिलाया कि सभी विभागों के अधिकारी पूरी संवेदनशीलता व समर्पण भाव के साथ काम कर लोगों को त्वरित न्याय प्रदान करेंगे। 

विभागीय समन्वय के साथ न्याय दिलाने में पुलिस भरपूर सहयोग करेगी –  वर्मा 

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक श्री डी श्रीनिवास वर्मा ने कहा कि गाँव स्तर पर आपसी विवादों के समाधान की दिशा में “समाधान आपके द्वार” के रूप में एक आश्चर्यजनक और अद्भुत पहल हुई है। इससे लोगों का पैसा व समय बचेगा, साथ ही शांति कायम होगी। उन्होंने कहा कि पुलिस से संबंधित कार्रवाई को एसओपी (स्पेशल ऑपरेटिंग प्रोसीजर) के तहत अंजाम दिया जायेगा। श्री वर्मा ने प्रशिक्षण में मौजूद पुलिस अधिकारियों से भी कहा कि वे अंतरविभागीय समन्वय के साथ काम करें। पीडित तक यह संदेश कदापि न पहुँचे कि किसी जोर जबरदस्ती से राजीनामा कराया जा रहा है। बल्कि उन्हें यह लगे कि दोनों पक्षों के हित में काम हो रहा है। 

प्रिंसिपल रजिस्ट्रार श्री मिश्रा ने दी योजना के संबंध में विसतृत जानकारी 

उच्च न्यायालय खंडपीठ ग्वालियर के प्रिंसिपल रजिस्ट्रार एवं उचच न्यायालय विधिक सेवा समिति के सचिव श्री देवनारायण मिश्रा ने “समाधान आपके द्वार” योजना पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने जानकारी दी कि राजस्व, पुलिस, वन एवं विद्युत से संबंधित ग्रामीण क्षेत्र के उन प्रकरणों को चिन्हित किया जा रहा है, जिनमें राजीनामा से निराकरण संभव है। उन्होंने कहा कि इन विभागों के कर्मचारियों का संयुक्त दल ग्रामीण अंचल में पहुँचेगा। साथ ही क्लस्टर बनाकर क्षेत्रीय निवासियों की मदद से विवादों की पहचान करेंगे और उनका निपटारा करेंगे। राजीनामा के फायदे बताकर दोनों ओर के पक्षकारों की सहमति से प्रकरणों का निराकरण कराया जायेगा। 

प्रशिक्षण सत्र में इन्होंने दी विधिक जानकारी 

प्रशिक्षण कार्यक्रम में जीडीए के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री प्रदीप शर्मा ने राजस्व विधि, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री गजेन्द्र वर्धमान व जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्री प्रवीण दीक्षित ने अपराध विधि, महाप्रबंधक विद्युत श्री राजेश द्विवेदी ने विद्युत संबंधी अधिनियम और वन मंडलाधिकारी श्री बृजेन्द्र श्रीवास्तव ने वन विभाग से संबंधित कानूनों की जानकारी दी। 

रियल टाईम डेटा को प्रदर्शित करने वाले एप का डेमो भी हुआ 

उच्च न्यायालय खंडपीठ ग्वालियर के प्रिंसिपल सिस्टम एनालिस्ट श्री सत्येन्द्र शर्मा द्वारा समाधान आपके द्वार योजना के तहत राजीनामा योग्य प्रकरणों के रियल टाईम डेटा को प्रदर्शित करने वाले एप का डेमो दिया गया। श्री हितेन्द्र द्विवेदी ने भी इस एप की खूबियाँ बताईं। 

विधिक सहायता अधिकारी श्री सनातन सेन द्वारा “समाधान आपके द्वार” योजना के प्रारूप, पद्धतियों एवं प्रक्रिया व विधि पर बिंदुवार जानकारी पर प्रकाश डाला गया। 



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