ग्वालियर। विद्वत वरेण्य संत प्रवर अखिल भारतीय निर्मोही अनी अखाड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष धीर समीर बंशीवट वृंदावन धाम के महंत मदनमोहनदास महाराज ने कहा है कि भगवान श्रीराम ने सागर पर रामसेतु बनाया था लेकिन जगद्गुरु स्वामी रामानंदाचार्य जी ने भवसागर को पार करने के लिए शरणागति पुल बनाया। यह ऐसा दिव्य सेतु है जो आज भी है और जब तक दुनिया रहेगी तब तक यह सेतु रहेगा। यह सेतु राम के नाम के स्मरण उनके प्रेम का है जो भगवान की शरण में चला जाता है, उसका भवसागर से पार होना तय है।
संत प्रवर मदनमोहन दास जी शनिवार को सिद्धपीठ श्रीगंगादास जी की बड़ी शाला में जगद्गुरु रामानंदाचार्य जी के जन्मोत्सव पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि की आसंदी से बोल रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता शाला के महंत पूरन वैराठी पीठाधीश्वर स्वामी रामसेवकदास महाराज ने की।
श्री मदनमोहन दास जी ने कहा कि वास्तव में जगद्गुरु रामानंदाचार्य के रूप में भगवान श्रीराम ही पैदा हुए थे। जिस तरह श्रीराम जी ने दुष्टता का विनाश किया और धर्म की स्थापना की उसी तरह रामनदाचार्य जी ने750 वर्ष पूर्व समाज से मतभेद, जात पात खत्म करने परस्पर द्वेषभाव मिटाने का काम किया। जिसको आज हम सब समाज से मिटाने का संकल्प लें, तभी उनकी जयंती मनाने का महत्व है।
इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में शाला के महंत स्वामी रामसेवकदास जी ने कहा कि स्वामी रामानंदाचार्य को मध्यकालीन भक्ति आंदोलन का महान संत माना जाता है। उन्होंने रामभक्ति की धारा को समाज के निचले तबके तक पहुंचाया।,,,, वे ऐसे आचार्य हुए जिन्होंने उत्तर भारत में भक्ति का प्रचार किया। ।इससे पूर्व शाला में संत महंतों ने स्वामी रामानंदाचार्य जी का अभिषेक और पूजन किया।
भागवताचार्य प्रेमानंद को किया नमस्कार नमस्कार सम्मानित:
कार्यक्रम में भागवताचार्य श्री प्रेमानंद जी को उनके धार्मिक जागरूकता के लिए किए जा रहे कार्यों को रेखांकित करते शॉल श्रीफल प्रदान कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर सियारामदास, रघुवीरदास , रामदास , धन्वंतरि दास ,रामचरणदास, प्रेमदास, कैलाश अग्रवाल,माताप्रसाद शुक्ला, सहित धर्मप्रेमी लोग उपस्थित थे।
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