अक्सर वर्षा ऋतु में आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी या हरिशयनी एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चार माह का समय देवशयन काल कहलाता है ।
लेकिन इस वार चार माह की जगह पांच माह विवाह आदि शुभ मुहूर्त नही है।
यह जानकारी ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुम चंद जैन ने देते हुए कहा कि इस वार श्रावण मास अधिक मास है अर्थात दो श्रावण मास होने के कारण एक माह अधिक बढ़ने से चार माह की जगह पांच माह तक सभी शुभ कार्यों पर विराम रहेगा।
इस बार अषाढ़ शुक्ल देवशयनी एकादशी 29 जून,गुरुवार को है। देवशयनी एकादशी के दिन से ही जगत के पालनहार भगवान विष्णु का निद्राकाल शुरू हो जाता है, यानी इसी दिन से चतुर्मास की शुरुआत होती है और साधु संत साधना में लग जाते हैं। जिस में जैन संत इस चातुर्मास काल में पद विहार करना बंद कर देते हैं और एक ही जगह पर इस वार पांच महीने रहकर ध्यान,साधना,तप करते हैं।
29 जून से देव शयन एकादशी से 23 नम्बर को इस वार कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन देवठान उठने के साथ ही शुभ कार्यों से रोक हटेगी। अगला विवाह मुहूर्त 27 नम्बर 2023 को ही होगा।
विवाह ,नवीन ग्रह प्रवेश, देवप्रतिष्ठा आदि के शुभ मुहूर्त नहीं है लेकिन वाहन,भूमि पूजन नीव, मशीन, संपत्ति एवम व्यापार मुहुर्त पर इस समय रोक नहीं रहेगी।
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