औद्योगिक क्षेत्रों की भूमि को फ्री होल्ड किया जाए : एमपीसीसीआई

प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा को पत्र के माध्यम से भेजे सुझाव

ग्वालियर 14 जून। औद्योगिक क्षेत्रों की भूमि को फ्री होल्ड किए जाने के साथ ही प्रदेश में औद्योगिक विकास   को बढावा देने के संबंध में मध्यप्रदेश चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री (चझउउख) द्बारा प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री श्री ओमप्रकाश सकलेचा को पत्र के माध्यम से सुझाव प्रेषित किये गये हैं। 

एमपीसीसीआई अध्यक्ष-डॉ. प्रवीण अग्रवाल, संयुक्त अध्यक्ष-हेमंत गुप्ता, उपाध्यक्ष-डॉ. राकेश अग्रवाल, मानसेवी सचिव-दीपक अग्रवाल, मानसेवी संयुक्त सचिव-पवन कुमार अग्रवाल एवं कोषाध्यक्ष-संदीप नारायण अग्रवाल द्बारा प्रेस को जारी विज्ञप्ति में अवगत कराया है कि मध्यप्रदेश औद्योगिक रूप से पिछड़ा प्रदेश है। इस पिछड़ेपन का मुख्य कारण उद्योगों के लिए हमारी नीतियां समीपवर्ती प्रदेशों से प्रतिस्पर्धात्मक न होना है। इसकी वजह से जब किसी वर्तमान इकाई का विस्तार या नवीन इकाई की स्थापना का प्रोजेक्ट आता है तो वह समीवर्ती प्रदेशों में शिफ्ट हो जाती है। इसलिए बहुत आवश्‍यक है कि राज्य की उद्योग नीति समीपवर्ती प्रदेशों के अनुरूप प्रतिस्पर्धात्मक बने जिसमें अन्य प्रदेशों की अपेक्षा दरें कम हों ताकि मध्यप्रदेश में उद्योग स्थापित हो सकें। 

एमपीसीसीआई द्बारा औद्योगिक विकास के संबंध में निम्न सुझाव प्रेषित किये गये हैं:-

1. औद्योगिक क्षेत्रों की भूमि को फ्री होल्ड किया जाए। 

2. मध्यप्रदेश में उद्योगों की समस्याओं के निराकरण के लिए वास्तविक रूप से एकल खिड़की प्रणाली लागू होना चाहिए। वर्तमान में जो एकल खिड़की प्रणाली है, वह भ्रष्टाचार का बड़ा अड्डा है। इसके विपरीत यदि एकल विण्डो प्रणाली वास्तविक रूप से लागू कर, ऑनलाइन कर दिया जाये, जिसमें अधिकारी व हितग्राही दोनों ही घर बैठे उसका स्टेटस जान सकें या हितग्राही से कोई अतिरिक्त जानकारी की आवश्‍यकता है तो वह ऑनलाइन ही दी जा सके। 

3. औद्योगिक क्षेत्रों में नगर निगम संपत्ति कर ले रहा है एवं एमएसएमई विभाग संधारण शुल्क ले रहा है। यह दोहरा कर समाप्त किया जाना चाहिए। एक ही कर औद्योगिक क्षेत्रों पर लगना चाहिए। 

4. कृषि आधारित उद्योगों को कच्चा माल खरीदने के लिए मण्डी टैक्स देना पड़ता है। यह मण्डी टैक्स 1.50% से घटाकर 0.5% किया जाना चाहिए। 

5. एमएसएमई की बिजली दरों में ऊर्जा प्रभार+नियत प्रभार+विद्युत शुल्क को यदि जोड़ा जाये तो  उद्योगों को लाइट 8-9 रूपये यूनिट पड़ रही है और उच्च दाब कनेक्शन होने की स्थिति में यह और अधिक बढ सकती है। इसलिए बहुत आवश्‍यक है कि उद्योगों को मिलने वाली बिजली की कुल दर 7/- रूपये से अधिक नहीं होना चाहिए। यदि नियामक आयोग द्बारा इससे अधिक दरों का निर्धारण किया जाता है तो राज्य सरकार को उस पर सब्सिडी प्रदान करना चाहिए।

6. औद्योगिक क्षेत्र की लीज डीड में संशोधन के लिए रक्त संंबंधित व्यक्तियों के लिए सिर्फ रूपये 10000/- को लेकर ट्रांसफर किया जाना चाहिए। वर्तमान में डेवलपमेंट फीस एवं नए रेट से लीज रेंट लिया जाता है, जो अत्याधिक है। इसमें संशोधन किया जाना चाहिये। 

7. कई औद्योगिक क्षेत्रों में आज भी सड़क, बिजली और पानी की व्यवस्था नहीं है जो कि जल्द से जल्द उपलब्ध कराया जाना चाहिए। 

8. उद्योगों पर डायवर्सन टैक्स नहीं लगना चाहिए। 

पदाधिकारियों ने बताया है कि म.प्र. में उद्योगों की स्थापना की प्रचुर संभावनायें हैं लेकिन इसमें सबसे बड़ी बाधा का काम हमारी नीतियां करती हैं। अत: आवश्‍यक है कि मध्यप्रदेश के सभी व्यवसायिक संगठनों को एक सुखद वातावरण में बैठाकर इस पर खुले मन से चर्चा की जाना चाहिए और ये चर्चा तभी की जाना चाहिए जब इसमें आये बिन्दुओं पर अधिकतम एक माह में निर्णय लेकर सरकार उसका क्रियान्वयन करने की स्थिति में हो। इसका आयोजन एमपीसीसीआई खुले मन से करने को तैयार है।

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