13 सितंबर से वर्षा का योग

कहावत है कि का वर्षे जब कृषि सुखानी 

इस बार समय पर वर्षा हुई कही कही अच्छी वर्षा भी हुई लग रहा था कि इस बार सामान्य से अधिक अच्छी वर्षा होगी परन्तु द्वतीय श्रावण माह अधिकतर  कई राज्यो में सूखा जाने से कई स्थानों पर सूखे के हालात बन गए किसानों की फसल सूखने ओर खराब होने की चिंता सताने लगी। अनेक स्थानों पर तो धान की फसल,सोयवीन,तुअर आदि सूखने लगे। ऐसे में भादो के महीने में आस है।

वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने जानकारी में बताया कि  18 अगस्त से मंगल शनि का षडाष्टक योग और सूर्य शनि का  समसप्तक योग बना हुआ है। इसलिए भादो माह में भी चैत्र मास की तरह गर्मी बढ़ गई हैं। 

अब वर्षा ऋतु भी पंचांग के अनुसार  23 अगस्त को सूर्य ग्रह के सायन कन्या राशि में प्रवेश होने से समाप्त होकर शरद ऋतु लग चुकी है। ऐसे में रात्रि में हल्की शर्दी का अहसास होना चाहिए था परंतु ग्रहों की ऊपर की स्थिति बनने से तेज धूप गर्मी बढ़ गई हैं।

श्री जैन का कहना है कि 13 सितंबर के बाद मौसम एक बार फिर करबट बदलेगा फिर कही कही अच्छी वर्षा होगी। 

ग्वालियर चम्बल अंचल में भी वर्षा लौटकर आएगी

जैन ने अपनी ज्योतिष गणना में कहा कि भाद्र माह में श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र का योग 07 सितंबर को एवं भाद्र माह में गुरुवार को अमावस्या तिथि का योग 14 सितंबर को अच्छी वर्षा कारक होता है। इसी प्रकार 14 सितम्बर को भाद्र माह में बुध ग्रह का उदय भी अति  वृष्टि कराता है। 13 सितंबर को ही उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में सूर्य हाथी वाहन के साथ प्रवेश से स्त्री+स्त्री,सूर्य+सूर्य का योग भी श्रेष्ठ वर्षा का योग बनता है। इसलिए उम्मीद है कि 7 सितंबर से मौसम में परिवर्तन होकर 13 सितंबर  से 13 अक्टूम्बर तक अनेक स्थानों पर सामान्य कही कहि अति वर्षा से हानि के योग बन सकते हैं।

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