वर्ष में नवरात्र चार बार आते हैं जिसमे दो गुप्त नवरात्रि होती है दो प्रकट रूप से बड़े भक्ति भाव हर्ष उल्लास के साथ मनाई जाती है।वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने बताया एक विक्रम संवत् के आरंभ में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक शुरू होती है उन्हे बसंत नवरात्रि दूसरे आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक गुप्त नवरात्रि होती है फिर आश्वनि शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक शारदीय नवरात्रि और माघ शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक गुप्त नवरात्रि होती है।
इनके आने के साथ ही ऋतु परिवर्तन होता है इस बार की शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्तूबर रविवार से हो रही है। जो 23 अक्तूबर मंगलवार तक रहेंगे। वहीं 24 अक्टूबर को विजयादशमी यानी दशहरा का पर्व मनाया जाएगा।
जैन ने बताया कि इस बार की नवरात्रि में मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आयेगी।
इस से एक बार दीपावली तक वर्षा पुनः होने के योग हैं ।
वही भैंसे पर सवार होकर वापस जायेगी ये देश दुनियां के हित में नही है। जन मानस ने भय,अराजकता ,रोग,हिंसा में वृद्धि हो सकती है।
इस वार पूरे नो दिनो की शारदीय नवरात्रि होंगे किसी भी तिथि का बीच ने क्षय नही हुआ।नवरात्र नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाएगी।
*घट स्थापना मुहूर्त:-* दोपहर 11:40 बजे से 12:48 बजे तक श्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा। उसके बाद
प्रातः 09:10 बजे से 10:36 बजे तक लाभ की चौघड़िया में
प्रातः10:36 से 12:03 बजे तक अमृत की चौघड़िया के साथ अभिजित मुहूर्त का समावेश में सर्व श्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा।
*किस दिन मां के किस रूप की पूजा होगी*
पहले दिन 15 अक्टूबर को घट स्थापना के साथ मां शैल पुत्री की पूजा होगी।
16 सोमवार को मां ब्रह्मचरणी।
17 को मां चंद्रघंटा,18 को मां कूष्मांडा,19 को मां स्कंदमाता, 20 को मां कात्यायनी,21 को मां कालरात्रि , 22 को मां सिद्धिदात्री,23 को मां महागौरी नवमी पूजा,नवरात्रि व्रत पारणा
24 को दशहरा विजया दशमी का पर्व मनाया जाएगा।
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