ऐसे थे दाऊ साहब अर्जुन सिंह जी

 

।। पुण्यस्मरण परमपूज्य दाऊ साहब स्वर्गीय श्री अर्जुन सिंह जी।।

5 नवंबर को जयंती है परम आदरणीय दाऊ साहब श्री अर्जुन सिंह जी की जिन्होंने देश की राजनीति को एक अलग ऐसी पहचान दी जो सर्व धर्म की रक्षक है। 

पूज्य दाऊ साहब के नाम मैं सर्वधर्म समभाव देखने को मिलता है उनके नाम हिंदू, मुस्लिम ,सिख ,इसाई समाहित है। उनके नाम के प्रथम अक्षर अ से मुसलमान काअल्लाह, र से हिन्दू का   राम ,ज से ईसाई का जॉन और न से सिखों का  नानक बन जाता हैं।

आदरणीय दाऊ साहब चारो धर्म के ही नही विश्व के समस्त धर्मों के प्रति अटूट श्रद्धा रखते थे।

 सत्य सनातन धर्म के सबसे बड़े हितचिंतक थे।आदरणीय दाऊसाहब का एक ही संकल्प था जनमानस की सेवा। उनके लिये हम ये कह सकते है "जन सेवा किए बिना मोए कहां विश्राम"

वो कहते थे ।

" सांई इतना दीजिये तामे कुटुम्ब समाय में भी भूखा ना रहूँ  और साधु भी भूखा न जाये "। 

ऐसे थे दाऊ साहब श्री अर्जुन सिंह जी

भारतीय राजनीति में इन दिनों  बड़बोलेपन का दौर चला  है। उसको देखकर आश्चर्य होता है। कि अभी कुछ समय पहले तक इस राजनीति के परिदृश्य में आदरणीय दाऊ साहब श्री अर्जुन सिंह जैसे राजनेता मौजूद थे।जो बात कम और काम ज्यादा के सिद्धांत में भरोसा रखते थे। उनसे मिलने वालों को अक्सर इस बात से असुविधा होती थी। कि उनके साथ कैसे संवाद स्थापित किया जाए, लेकिन जिन्होंने परम आदरणीय दाऊ साहब श्री अर्जुन सिंह को कुछ निकट से देखा है वे बता सकते हैं कि वे जितना भी बोलते थे उसमें वजन बहुत ज्यादा होता था। और मुझे ये सौभाग्य प्राप्त है कि उनका स्नेहिल प्यार और आशीर्वाद मुझ जैसे एक छोटे कार्यकर्ता को मिला और उन से ही मैने राजनीति का ककहारा सीखा है। और उन से ही मैने एकनिष्ठा व समर्पण और मानवता की सेवा की सीख ली है।

उनकी विशेष उपलब्धियों में चम्बल से डाकुओं का सफलता के साथ आत्मसमर्पण, जिस समय पंजाब सुलग रहा था तब उन्होंने पंजाब राज्यपाल के रूप पंजाब में शांति स्थापित की और राजीव गाँधी व लोंगोवाल समझौता करवाया, गरीबों की भरपूर मदद करने में सदैव आगे रहें और मध्यप्रदेश के समस्त झुग्गीवासियों को मालिकाना हक दिया , बिजली, पानी, गरीब

आदिवासी भाइयों को तेंदुपत्ता का उचित मूल्य दिलाने, गरीब रिक्शा चालकों को आत्मनिर्भर बनाने जैसे कामों को अंजाम दे कर हर वर्ग का ध्यान रखा परम आदरणीय दाऊ साहब श्री अर्जुन सिंह की योजनाओं को आज भी देश प्रदेश के आमजन भूले नहीं हैं। उनकी देश के मानव संसाधन मंत्री के रूप में जो शिक्षा की नीति बनी वो सर्वहारा वर्ग के लिए आज भी बहुत प्रभावी है, संचार मंत्री के रूप में जो नीति बनी वो आज देश मे संचार क्रांति की जनक है देश में उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री आदरणीय श्री राजीव जी ने अपनी सबसे महत्व पूर्ण इस योजना का भार उन्ही के ऊपर सोंपा और उस पर वो खरे उतरे उनका जीवन उतार चढ़ाव से परिपूर्ण था लेकिन वो सही मायनों में कर्मयोद्वा थे जो विपत्तियों में भी हिमत्त नही हारते थे,ना मुस्कराना भूलते थे उनके चेहरे के तेज देखते ही बनता था। उन्होंने महात्मा गाँधी जी, पँडित जवाहर लाल नेहरू जी,श्रीमती  इंदिरा गांधी जी, श्री राजीव गाँधी जी, श्री पी वी पी नरसिम्हाराव जीऔर श्री मनमोहन सिंह जी के साथ अपने लंबे राजनीतिक जीवन की पारी का सफलता पूर्वक निर्वाहन किया और सदैव सर्वहारा वर्ग व मातृशक्ति, शोषित पीड़ितों और युवाओं के हित का ध्यान रखा।

उन्हें पढ़ने और लिखने का बहुत शौक था। जब उनका स्वस्थ खराब था और उस समय जब वो एस्कोर्ट हार्ट अस्पताल में भर्ती थे उस समय भी वे देश की चिंता में व्यस्त रहते थे। अस्पताल से उनका यह पत्र उनके पीड़ा की गहराई को स्पष्ट करता है। उन्होंने लिखा था - ‘‘मेरे राम, रहीम और ईशा तुम कहां हो’’ आज वे सशरीर तो मौजूद नहीं रहे हैं किंतु उन्होंने जो जनहित के कार्य किए हैं ये सब उनकी उपस्थिति को सदैव प्रमाणित करते रहेंगे। उनको उनकी जयंती पर ही नही उनको तो प्रतिदिन ही स्मरण और नमन करने का दिन है।

परमआदरणीय दाऊ साहब के चरणों मे सादर शत शत नमन।

यदुनाथ सिंह तोमर

 कांग्रेस प्रदेश महामन्त्री


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