मिल-जुलकर अपनी समृद्ध धरोहर व विरासत को संरक्षित करें – संभाग आयुक्त सिंह

“धरोहर के संरक्षण में जन सामान्य का योगदान” विषय पर व्याख्यान माला आयोजित 

विश्व धरोहर सप्ताह के तहत आयोजित व्याख्यान माला में बड़ी संख्या में शोधार्थी व विद्यार्थियों ने की सहभागिता 

ग्वालियर 24 नवम्बर / धरोहर व विरासत का महत्व हम तभी समझ सकते हैं, जब हम उस समय के इतिहास से परिचित होंगे। हमारा इतिहास अत्यंत गौरवमयी रहा है। सिंध घाटी सभ्यता से लेकर अन्य ऐतिहासिक कालखंडों पर नजर डालें तो यह स्पष्ट होता है कि हमारे यहाँ कला व ज्ञान प्राचीन काल में भी अत्यंत परिष्कृत था। इस आशय के विचार संभागीय आयुक्त श्री दीपक सिंह ने व्यक्त किए। श्री सिंह “धरोहर के संरक्षण में जन सामान्य का योगदान” विषय पर आयोजित हुई व्याख्यान माला में बोल रहे थे। उन्होंने आह्वान किया कि हम सब मिलकर अपनी समृद्ध धरोहर व विरासत का संरक्षण व संवर्धन करें। 

विश्व धरोहर सप्ताह के तहत शुक्रवार को यहाँ मोतीमहल स्थित राज्य संरक्षित स्मारक (दरबार हॉल) में इस व्याख्यान माला का आयोजन राज्य शासन के पुरातत्व विभाग एवं अभिलेखागार व संग्रहालय के तत्वावधान में किया गया। संभाग आयुक्त श्री सिंह एवं अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन कर व्याख्यान माला का शुभारंभ किया। विश्व धरोहर सप्ताह 19 से 25 नवम्बर तक मनाया जा रहा है। 

संभाग आयुक्त श्री सिंह ने व्याख्यान माला में मौजूद प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि सिंध घाटी सभ्यता के दौरान ही स्मार्ट सिटी जैसी परिकल्पना को मूर्तरूप दिया गया था। जल निकास प्रणाली सहित सुनियोजित ढंग से नगर बसाए गए थे। पाषाण काल से ही लोगों ने कला को अपनाया। मुरैना जिले के पहाढ़गढ़ क्षेत्र में स्थित लिखी छाछ की रॉक पेंटिंग इसका उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने कहा खुशी एवं गर्व की बात है कि ग्वालियर को यूनेस्को ने सिटी ऑफ म्यूजिक का दर्जा दिया है। हम सब आज संकल्प लें कि हम अपने आस-पास स्थित हैरीटेज व विरासत को संरक्षित करेंगे। 

इस अवसर पर एलईडी स्क्रीन के जरिए ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की पुरातात्विक धरोहरों एवं उन्हें सहेजने के लिये किए गए प्रयासों को प्रोजेक्टर के जरिए दिखाया गया। जिसमें क्षेत्र के किले व गढ़ियाँ, नूराबाद स्थित गन्ना बेगम का मकबरा, दतिया जिले में स्थित महलनुमा बावड़ी तथा प्राचीन मूर्तियाँ व शैलचित्र शामिल हैं। 

व्याख्यान माला में उप संचालक पुरातत्व एवं अभिलेखागार श्री पी सी महोबिया, जीवाजी विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष श्री शांतिदेव सिसोदिया, माधव महाविद्यालय के विभागाध्यक्ष प्रो. मनोज अवस्थी, राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय के प्रो. श्री कौशलेन्द्र गुप्ता ने व्याख्यान दिए। इस आयोजन में शोधार्थियों एवं वि‍भिन्न महाविद्यालयों के विद्यार्थियों व आचार्यों ने हिस्सा लिया। 


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