सरकार की राशि का सरपंच सचिव कर रहे बन्दर बांट ?
टीकमगढ़ जिला ब्यूरो प्रमोद अहिरवार
चंदेरा//भले ही मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव भ्रष्टाचार को खत्म करने का दम भर रहे हों यूपी के बुल्डॉजर बाबा की तरह एक्सन मूड बना रहे हों या भ्रष्टाचार को रोकने के लिये नये नये नियम बना रहे हों प्रदेश के सभी सरकारी अफसरों को लगन और पूरी ईमानदारी से काम करने के आदेश दे रहे हों लेकिन उनके ही अधिकारी उनके नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं I मुख्यमंत्री के आदेशों को दरकिनार कर भ्रष्टाचार में लिप्त होकर सरकारी राशि का बन्दर बाँट करने मे लगे हुए है I
जतारा विधान सभा क्षेत्र की जनपद पंचायत पलेरा के अन्तर्गत आने वाली ग्राम पंचायत पठारी में सरपंच सचिव के द्वारा जनपद के आला अधिकारियों की मिली- भगत से सरकारी राशि को ठिकाने लगाने का मामला देखने को मिला है आपको बता दें कि पठारी ग्राम पंचायत मे एक पर्कुलेशन टैंक बनाया गया है जिसका निर्माण मशीनों द्वारा करवाया गया है जिसमें पर्कुलेशन टैंक की बधान की चौड़ाई आधे मीटर से भी कम बनाई गयी है बाहर से मिट्टी मंगवाकर के लगाई गई है नाम मात्र के लिये थोड़ी बहुत खुदाई पर्कुलेशन टैंक के अंदर करवाई है कार्य मे मजदूरो की संख्या मस्टर रोल में अधिक दिखाई गई है और हकीकत मे 5 से 10 मजदूर ही लगाये गये हैं जिसमें शायद ही एक बार की बारिश का पानी भी ना रोका जा सके इस पर्कुलेशन टैंक की लागत राशि 4 लाख 83 हजार रुपये है जिसे सरपंच, सचिव ने लगभग एक लाख से भी कम राशि में बना दिया है यहाँ के सरपंच मोहनलाल कुशवाहा और सचिव देवकी नंदन विश्वकर्मा के द्वारा शासन की राशि को जनपद के अधिकारियों की मिली-भगत से बन्दर बांट कर ठिकाने लगाने का काम पूरी लगन से किया जा रहा है आपको बता दें कि पठारी पंचायत के सरपंच मोहनलाल कुशवाहा pco के पद पर रह चुके है सरकारी राशि को कैसे और कहाँ ठिकाने लगाना है पूरा अनुभव रखते हैं साथ ही जनपद मे pco के पद पर रहे हैं इसलिये सभी अधिकारियों से अच्छे तालमेल है जिसके चलते जनपद के बरिष्ठ अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त होने से भ्रष्टाचार कर राशि को मनमाने तरीके से ठिकाने लगा रहे हैं ? जनपद पंचायत CEO सिद्धगोपाल वर्मा ने पर्कुलेशन टैंक की जांच हेतु ग्राम पंचायत पठारी को नोटिस देकर एई के माध्यम से जांच के आदेश दिए थे, किन्तु मिली-भगत के चलते कार्य को न किए जाने का उल्लेख करते हुए लीपापोती कर मामले को दबाने की नाकाम कोशिश की गई है। जिससे साफ जाहिर होता है कि जिम्मेदार अधिकारी ही भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में सक्षम बने हुए हैं।
अब देखना यह है कि इन पर वरिष्ठ अधिकारी क्या एक्शन लेते हैं या फिर यूं ही मूक और बधिर की भांति शासन द्वारा जारी विकास राशि को डकारते हुए दर्शक बने रहेंगे।
क्या कहते हैं अधिकारी-
मुझे इस मामले में जानकारी नहीं है मुझे आपके द्वारा जानकारी से अवगत कराया गया है मैं इसकी जांच करवाता हूं जो भी जांच में तथ्य सामने आएंगे उसी आधार पर कार्यवाही की जाएगी।
नवीत सिंह धुर्वे-
जिला पंचायत सीईओ टीकमगढ़।
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