हमारे मन में जैसे विचार उत्पन्न होते है वही कर्म में आता है - राजयोगिनी ऊषा दीदी

प्रेम, शांति, खुशी, सम्मान जो आपको चाहिए वह दूसरों को बांटना शुरू करो 

ब्रह्माकुमारीज का 4 दिवसीय कार्यक्रम सम्पन्न

ग्वालियर।  जिनको प्रभु का प्यार मिल रहा है वह बड़े ही सौभाग्यशाली है। इसलिए सदैव स्मृति रखो हमारे जैसा खुशनसीब और कोई नहीं भगवान ने हम सभी को सर्व खजाने दिए हैं ज्ञान का खजाना, गुणों का खजाना, शक्तियों का खजाना, खुशी का खजाना बस इन्हें उपयोग करना आना चाहिए। जो समय पर इन खजानों को उपयोग कर पाते है वह जीवन को सुंदर तरीके से जीते है। और इन खजानों को बढ़ाने का तरीका है जितना बांटो उतना बढ़ेगा।  जो आपको चाहिए वह बांटना शुरू करो खुशी चाहिए तो खुशी बांटो, सम्मान चाहिए तो सबको सम्मान दो, प्रेम चाहिए तो सभी से प्रेम पूर्वक व्यवहार करो। संसार का नियम है जो देंगे वही मिलेगा उक्त बात राजयोगिनी बीके ऊषा दीदी ने जाने से पूर्व प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के प्रभु उपहार भवन माधौगंज केंद्र पर सभी को संबोधित करते हुए कही I 

दीदी ने आगे कहा कि जीवन मे हमेशा ध्यान रखो कि हमारे शब्द कैसे है हम जो बोल रहे है वह दूसरों को मिठास देने वाले हो कोई शब्द ऐसा नहीं बोलना चाहिए जो दूसरों को दुःख दे।   घर के अंदर अगर अच्छा वातावरण बनाना है तो रोज दिव्यगुणों को धारण करने की पढ़ाई पढ़ो उस पर चिंतन करो यदि हमारे जीवन में आलस्य अलबेलापन होगा तो हम किसी भी कार्य को बेहतर ढंग से नहीं कर पाएंगे । जो हमारे मन में विचार आते हैं वही कर्म में आता है इसलिए सदैव अच्छे विचार ही अपने मन में लेकर के आएं क्योकि वही तरंगे हमारे आसपास भी फैलती हैं । इसलिए इस बात पर अटेंशन हो कि हमारे आसपास का वातावरण अच्छा बने उसके लिए सदैव सकारात्मक ही सोचें जिससे मिलो तो ऐसे मिलो जैसे अपने परिवार का सदस्य है क्योकि सब परमात्मा शिव की संतान है। इसलिए सब आपस में भाई भाई है।

 सभी के प्रति बेहद की भावना अंदर में रखो मेरे परिवार वालों का या मेरा कल्याण ही नहीं वल्कि यह भाव रखो की सबका कल्याण हो तो उसमें मैं और मेरा परिवार भी आ जायेगा।

परमपिता परमात्मा शिव बाबा सबका कल्याण करते है हम उनके बच्चे होने के नाते से हमें भी सबके प्रति कल्याण का भाव रखना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि अध्यात्म के मार्ग में जो फाउंडेशन है वह पक्का होना चाहिए तो जीवन की यात्रा सुखद होती है।

हम जो यहाँ ज्ञान सुनते है या योग (ध्यान) का अभ्यास करते है। उसे प्रैक्टिकल जीवन में अमल में लाओ तब आपको सुंदर अनुभव होंगे।

दीदी ने कहा कि एक है सुनना,  दूसरा है समझना और तीसरा है स्वरूप बनना स्वरूप बनेंगे तो सभी की दुवाएं मिलेंगी। 

कार्यक्रम के अंत मे बीके आदर्श दीदी ने राजयोगिनी बीके ऊषा दीदी और उनके साथ माउंट आबू से आये सभी साथियों बीके अन्नु बहन, बीके रघु भाई, बीके मुकेश भाई, बीके प्रसाद भाई, बीके प्रदीप भाई का सम्मान किया तथा सभी का आभार भी व्यक्त किया और भविष्य में भी इस तरह के आयोजन में पुनः ग्वालियर पधारने का अनुरोध भी किया।






इस अवसर पर बीके डॉ गुरचरन सिंह, बीके प्रहलाद, बीके ज्योति बहन, बीके महिमा बहन, बीके जीतू, बीके पवन, बीके लक्ष्मी, बीके अरुण, बीके सुरभि बीके रोशनी, बीके कार्तिक, बीके सौरभ, बीके विजेंद्र, बीके संजय, गजेंद्र अरोरा, राजेन्द्र अग्रवाल, संतोष बंसल, सन्तोष गुप्ता, राजेन्द्र सिंह, जगदीश मकरानी, जया लोकवानी, बीनू मकरानी, कविता पमनानी, दीपा आगीचा, नीलम मोतिरमानी, माधवी गुप्ता, आशा सिंह, राजू, पार्वती, मीरा, शिवांस, पंकज, सुरेश, राजेन्द्र सहित अनेकानेक लोग उपस्थित थे।


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