घोड़े की सवारी पर आयेगी मां शुभ योग में घट स्थापना वर्ष फल माध्यम ही रहेगा

   

इस साल 09 अप्रैल दिन मंगलवार को चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ हो रहा है।

वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने बताया कि 

घट स्थापना का मुहूर्त प्रातः  06 :00 बजे से 10:13 बजे तक फिर 11:54 बजे से 12:44 बजे तक अभिजित मुहूर्त में श्रेष्ठ रहेगा।

इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग,अमृत सिद्धि योग,शश योग,और अश्वनी नक्षत्र का योग का संयोग घट स्थापना के समय विशेष शुभ है।

 जैन ने बताया वार के आधार पर इस साल मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर पृथ्वी पर आएंगी। घोड़े को युद्ध का प्रतीक माना जाता है। माता का आगमन घोड़े पर होता है तो समाज में अस्थिरता, तनाव अचानक बड़ी दुर्घटना, भूकंप चक्रवात, सत्ता परिवर्तन, युद्ध आदि की स्थिति वर्ष में  उत्पन्न होने की संभावना भूमंडल  पर रहती है। जबकि माता रानी हाथी पर प्रस्थान करेंगी। हाथी की सवारी काफी शुभ मानी जाती है। जिससे माता रानी भक्तों को सुख समृद्धि देकर विदा होंगी।

इस बार माता घोड़े पर आ रही हैं, जो कि शुभ नहीं माना जाता है। ऐसे में इस नवरात्र में माता की पूजा क्षमा प्रार्थना के साथ किया जाना नितांत आवश्यक है। प्रत्येक दिन विधिवत पूजा करने के बाद क्षमा प्रार्थना करने से माता प्रसन्न होंगी और शुभ फल देंगी। 

 *इस वार किस दिन मां के कोन से रूप की पूजा होगी* 

09 अप्रैल-. शैलपुत्री

10 अप्रैल- ब्रह्मचारिणी

11 अप्रैल- चंद्रघंटा

12- अप्रैल-कूष्मांडा

13 -अप्रैल स्कंदमाता

14 अप्रैल- कात्यायनी.

15 अप्रैल- कालरात्रि

16 अप्रैल-महागौरी

17 अप्रैल -.सिद्धिदात्री


*हर दिन कोई न कोई त्योहार रहेगा*

 जैन ने कहा इस वार नवरात्रि की विशेषता यह है कि पूरे नो दिनो में हर दिन त्योहार है कोई भी तिथि का क्षय नही है। हर रोज कोई न कोई व्रत,पर्व ,त्योहार रहेगा।

09 अप्रैल मंगलवार को गुड़ी पड़वा,बसंत नवरात्रि  प्रारंभ,घट स्थापना।

10 अप्रेल बुधवार को चेटीचंड,श्री झूलेलाल जयंती

11 अप्रैल गुरुवार गणगौर पूजन 

12 अप्रैल शुक्रवार को श्री गणेश दमनक चतुर्थी और श्री पंचमी

13 अप्रेल शनिवार को स्कंध षष्ठी व्रत

14 अप्रैल रविवार को यमुना जयंती, डा अंबेडकर जयंती

15 अप्रेल सोमवार को अशोकाष्टमी

16 अप्रैल मंगलवार को दुर्गाष्टमी रहेगी।

17 अप्रैल बुधवार को श्री राम नवमी व्रत

 जैन ने नव संवत का फल में बताया कि इस दिन से चांद्र विक्रमी संवत 2080 पूर्ण होकर विक्रम संवत 2081 प्रारंभ हो गया।

 इस के राजा मंगल और मंत्री शनि होंगे इस का नाम काल संवत है। 

इस वर्ष  पांच स्थान शुभ और पांच स्थान अशुभ ग्रहों को इस साल प्राप्त होने से जन मानस में आपसी क्लेस रहेगा। प्रजा में जाति भेद बढ़ेगा आर्थिक विफलता से शासन की परेशानी बढ़ेगी अगर पश्चात देशों की बात करे तो  फिर नए युद्ध शुरू होने के आसार हैं।चीन और पाकिस्तान की नीति का  भारत  खुलासा करेगा।

वर्ष का राजा मंगल से  युद्ध,चोरी,भ्रष्टाचार और बढ़ेंगे जाति उन्माद गहरा होगा।

इस वर्ष मंत्री शनि के होने से  राजकोस में धन की कमी खर्च ज्यादा धान्य और महंगे हो संसद में अमर्यादित  व्यवहार रहे।

इस वर्ष सस्येश मंगल होने से अनेक स्थानों पर अनावृष्टि,कही बाढ़ चावल,अन्न   महंगे बने।

इस वर्ष का धान्येश सूर्य होने से पश्चिम धान्य  की पैदावार  उत्तम रहेगी अर्थात गेहूं, सरसों,तुअर,तिल आदि प्रचूर मात्रा में हो।

इस वर्ष मेघेश शुक्र देव से  अच्छी वर्षा का योग है कही ज्यादा कही कम के योग भी है।

इस वर्ष का रसेश गुरु देव   होने से आम जनता धर्म से प्रभावित रहेगी रस पदार्थों का अच्छा उत्पादन होगा।मांगलिक,धार्मिक कार्यों की भी वृद्धि रहेगी ।

नीरसेश मंगल ग्रह से इस वर्ष हल्दी,चना,तुअर दाल, दाले, सब्जियां,सोना,चांदी के भाव में भड़कती तेजी नजर आयेगी। प्रथ्वी के भूभाग में नई खनिज संपदा के भंडार सामने आ सकते है।

इस वर्ष का फलेश शुक्र देव होने से फल,फूल का उत्पादन में कमी से महंगे होंगे।

इस वर्ष का धनेश चंद्रमा से  देश की वित्तीय स्थिति विषम होने से जनता असंतुष्ट रहेगी। अधिकारी वर्ग और भ्रष्ट होगा व्यापार जगत की स्तिथि असंतोष प्रद रहेगी। जन कल्याण कारी योजना का  सही लाभ लाभार्थी तक कम  जायेगा।

इस वर्ष का दुर्गेश शुक्र देव होने से राजनैतिक दल एक दूसरे पर टीका  टिप्पणी में समय खराब करेंगे बाबजूद अंतर्राष्ट्रीय भारत की ताकत बढ़ेगी

एक नजर माह अनुसार आषाढ़ मास में अल्प वर्षा किसान चिंतित।श्रावण माह में उत्तम वर्षा किसान के चेहरे पर खुशी भाद्र मास में खण्ड वर्षा कही कही सूखा अन्न के दाम महंगे हो आश्वनि मास में भी अल्प वर्षा रोगों की उत्तपत्ति अधिक अन्न तेज सोना,चांदी, तांबा आदि धातु में अचानक मंदी इस माह  कार्तिक से फाल्गुन माह तक राज विग्रह कही सत्ता पतन देश में राजनैतिक दलों में आरोप प्रत्यारोप बढ़े।

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