पंचक का क्या महत्व होता है जानिए। आगे पूरे साल कब से कब तक आयेंगे पंचक

 

ज्योतिषाचार्य डॉ. हुकुमचंद  जैन के अनुसार, चन्द्र ग्रह का धनिष्ठा,शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद तथा रेवती नक्षत्र में भ्रमण काल पंचक काल कहलाता है, नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को 'पंचक' कहा जाता है।

हर महीने में 27 दिनों के अंतराल पर पंचक नक्षत्र  का चक्र बनता रहता है। चंद्रमा 27 दिनों में सभी नक्षत्रों का भोग कर लेता है, एक राशि में चंद्रमा ढाई दिन और दो राशियों में चंद्रमा पांच दिन रहता है।इन पांच दिनों के दौरान चंद्रमा, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती नक्षत्र से गुजरता है और इस कारण ये पांचों दिन पंचक कहलाते हैं।

पंचक 5 प्रकार के होते हैं। शास्त्रों में वार के हिसाब से पंचक के नाम का निर्धारण किया जाता है। हर पंचक का अलग-अलग अर्थ और प्रभाव है।

किस वार को लगने पर क्या नाम होता है?

रविवार - रोग पंचक 

सोमवार - राज पंचक

मंगलवार - अग्नि पंचक

शुक्रवार - चोर पंचक

शनिवार - मृत्यु पंचक


*आगे कब-कब लगेंगे पंचक*- 

मई में पंचक लगने का समय 2 मई, गुरुवार दोपहर 02:32 है और इसका समापन 6 मई, मंगलवार रात 05:43 मिनट पर हो जाएगा।


जून में पंचक की शुरुआत 26 तारीख, बुधवार सुबह 01:49 मिनट से होगी और पंचक का समापन 30 जून, रविवार सुबह 07:34 पर हो जाएगा।


जुलाई 23 जुलाई, मंगलवार की सुबह 09:20 पर एकबार फिर पंचक लग जाएंगे।

 जुलाई में पंचक का अंत 29 जुलाई, शनिवार दोपहर 01:00 बजे हो जाएगा।


अगस्त के महीने में 19 अगस्त, सोमवार शाम 7:00 बजे पंचक लग जाएंगे और 23 अगस्त, शुक्रवार शाम 07:54 मिनट पर पंचक खत्म होंगे।


सितंबर 16 सितंबर, मंगलावर को शाम 05:44 मिनट पर पंचक लगेंगे और 20 सितंबर, शुक्रवार सुबह 05:15 मिनट पर पंचक खत्म होगा।


अक्टूबर में 13 अक्टूबर, रविवार दोपहर 3:44 मिनट पर पंचक शुरू होगा और 17 अक्टूबर, गुरुवार शाम 04:20 पर पंचक खत्म हो जाएगा।


नवंबर महीने में पंचक 9 नवंबर, शनिवार रात 11:27 मिनट पर लग जाएगा और 14 नवंबर, गुरुवार सुबह 03:11 मिनट पर खत्म होगा।


दिसंबर साल के अंत में 7 दिसंबर, शनिवार सुबह 05:07 पर पंचक लगेगा और इसका अंत 11 दिसंबर, बुधवार सुबह 11:48 पर हो जाएगा।

*पंचक के पांच नक्षत्र में कार्य प्रारम्भ करने से ये हानि होना संभव है।*: - 

1.धनिष्ठा नक्षत्र में अग्नि का भय रहता है।

2. शतभिषा नक्षत्र में कलह होने की संभावना रहती है।

 3. पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में रोग बढ़ने की संभावना रहती है।

4. उतरा भाद्रपद में धन के रूप में दंड होता है।

5. रेवती नक्षत्र में धन हानि की संभावना रहती है।

 *पंचक में इन कार्यों को करने से बचना चाहिए*

1.लकड़ी एकत्र करना या खरीदना या पलंग बनाना फर्नीचर लगाना।

2. मकान पर लकड़ी लोहे की छत डलवाना

3. दाह संस्कार (शव जलाना) में कुछ विशेष क्रिया करके ही करना।

4.  चारपाई बनवाना कंड़े , काष्ट घर लाकर इकट्ठा करना।

5. दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करना।

6. अन्य कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य।

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