ज्येष्ठ माह प्रारंभ,भीषण गर्मी,लू,हनुमान, शनि जयंती,गंगा दशहरा पूजन का रहेगा विशेष महत्व

 

ज्येष्ठ माह में शनि देव, हनुमान जी और सूर्य देव की पूजा करने से विशेष  पुण्य फल प्राप्त होता है। वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने बताया वैशाख पूर्णिमा के अगले दिन से ज्येष्ठ मास शुरू हो जाता है  इस बार यह महीना 24 मई से प्रारंभ होकर 22 जून को समाप्त होगा।

सूर्य की ज्येष्ठता के कारण इसे जेठ माह  कहते हैं इस महीने में दिन विशेष रूप से बड़े और राते छोटी रहती है दिन मान अधिक होने के कारण ज्येष्ठ महीने में भीषण गर्मी पड़ती है ,लू चलती है  इसी महीने में नो तपा रहते है इनमे नो दिन सूर्य देव रोहिणी नक्षत्र में रहकर अपनी सीधी करने पृथ्वी पर डालने से पृथ्वी तवे के समान तपने लगती है। 

इस महीने में जल का दान करने से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं और उसकी समस्त मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती है इसलिए प्याऊ लगवाना पक्षियों को जल, दाने की व्यवस्था करनी चाहिए। 

जैन ने कहा ज्येष्ठ महीने के स्वामी मंगल ग्रह है, जिसे ज्योतिष में साहस का प्रतीक माना गया है। यह महीना भगवान विष्णु और बजरंगबली का प्रिय मास है। 

ज्येष्ठ माह में ही शनि देव का जन्म हुआ था इसी महीने शनि ज्येष्ठ  अमावस्या को शनि जयंती मनाई जाती है इस वार यह 06 जून गुरुवार को है।

इस महीने के मंगलवार को श्रीराम जी पहली बार हनुमान जी से मिले थे।

पति की लंबी आयु के लिए ज्येष्ठ माह में वट सावित्री व्रत करना पुण्यदायक माना गया है।

सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए ज्येष्ठ माह में रविवार के व्रत करने से मान-सम्मान में वृद्धि, करियर में लाभ मिलता है। कुंडली में सूर्य मजबूत होता है।

देवी गंगा का पृथ्वी पर आगमन भी ज्येष्ठ माह में हुआ था, जिसे गंगा दशहरा कहते हैं इस बार यह 16 जून को है। इस दिन गंगा स्नान से पितरों की आत्म तृप्त हो जाती है। व्यक्ति के कष्ट, रोग, दोष दूर होते हैं।

ज्येष्ठ माह के दान आदि क्या करे

जैन ने बताया ज्येष्ठ माह में जल भरे घट, पंखे, जूते, चप्पल, खीरा, सत्तू, अन्न, छाता आदि का दान  जरूरत बंदों  में करें इससे लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं।

इस माह में पूरे महीने धरती आग उगलती है, सूर्य की तीव्र किरणें सीधा पृथ्वी पर पड़ती है, इस दौरान जल स्तर कम होने लगता है।

ज्येष्ठ में पेड़ पौधों में निरंतर पानी डालते रहें। ये कार्य कभी न खत्म होने वाला पुण्य देता है।

सूर्य के प्रचंड तेज को देखते हुए जेष्ठ मास में दोपहर 12 बजे से लेकर दोपहर 3 बजे तक घर में ही रहने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इससे हीट स्ट्रोक होने की संभावना बढ़ जाती है।

ज्येष्ठ में नौतपा के दौरान भीषण लू चलने के बीमार हो सकते हैं, इसलिए पानी पीते रहें और जरुरतमंदों के लिए भी जल की व्यवस्ता करें, प्याऊ लगवाएं,शरबत बांटें।

जैन के अनुसार जयेष्ठ मास में इस बार पांच शुक्रवार और पांच ही शनिवार रहने से अन्न , दालें तेल  और जरूरत की वस्तुएं महंगी होगी।  इस महीने सूर्य,शुक्र,बुध,गुरु का चतुरग्रह योग का शनि ग्रह से केंद्र योग राहु ग्रह से त्रिएकादश योग से अग्नि की घटनाएं बढ़ेगी,कही भूकंप के झटके ,तेज आंधी, भारी वर्षा से कही जीवन अस्त व्यस्त रहेगा विश्व में अशांति देखने मिलेगी।

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