देवशयनी एकादशी सर्वार्थ सिद्धि ,अमृत सिद्धि, शुक्ल योग में विशेष शुभ चार माह शुभ कार्यों पर विराम रहेगा

ऋतु चक्र ऐसा चक्र माना जाता है जो व्यक्ति को कब क्या किस ढंग से कार्य करना चाहिए यह ज्ञान कराता है।

चातुर्मास काल के चार महीने भी व्यक्ति को यही ज्ञान कराने के है।

हर माह एकादशी तिथि एक माह में दो बार आती है पर कुछ एकादशी तिथि के व्रत विशेष बन जाते है। आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि देव शयनी एकादशी तिथि से प्रसिद्ध है।


वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने बताया इस वार की देव शयनी  एकादशी तिथि का आरंभ 16 जुलाई  को रात 8 बजकर 33 मिनट से होगा। एकादशी तिथि का समापन 17 जुलाई को रात 9 बजकर 2 मिनट पर होगा। देवशयनी एकादशी का व्रत 17 जुलाई 2024, बुधवार को रखा जाएगा। 

एकादशी व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद  18   जुलाई को सुबह 5 बजकर 35 मिनट से सुबह 8 बजकर 20 मिनट के बीच रहेगा। 

जैन ने कहा इस बार की देव शयनी एकादशी सर्वार्थ सिद्धि ,अमृत सिद्धि एवम शुक्ल योग में पड़ने से विशेष शुभ रहेगी।

 देवशयनी एकादशी के दिन से भगवान श्री विष्णु विश्राम के लिए क्षीर सागर में चले जाते है और पूरे चार महीनों तक वहीं पर रहेंगे। भगवान श्री हरि के शयनकाल के इन चार महीनों को चातुर्मास के नाम से जाना जाता है। इन चार महीनों में श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक मास शामिल हैं। चातुर्मास के आरंभ होने के साथ ही अगले चार महीनों तक विवाह, नवीन ग्रह व्रवेश ,देव प्रतिष्ठा,कूप /वोरिंग खनन,मुंडन,दुरागमन आदि सभी शुभ कार्य करना वर्जित है।

हालाकि सिंध,पंजाब,हरियाणा, कश्मीर,हिमाचल आदि कुछ प्रांतों में और विशेष धर्म संप्रदाय में ये कार्य किए जाते है।

जैन ने बताया कि भूमि पूजन/ नीव,सगाई,मंत्र गृहण,व्यापार आरंभ, मकान ,भूमि , संपत्ति , वाहन खरीदना बेचना,प्रतिमा निर्माण,मंदिर निर्माण जैसे कार्य पर इस समय में कोई रोक नहीं है।

 देवशयनी एकादशी का व्रत रखने और भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में खुशहाली और सुख-समृद्धि बनी रहती है।

12 नवम्बर  कार्तिक शुक्ल एकादशी मंगलवार के दिन देवउठान एकादशी को यह देव शयन काल समाप्त हो जायेगा।

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