यू तो हिंदू नववर्ष का आरम्भ ही चैत्र नवरात्रि से होता है। पूरे वर्ष में चार नवरात्रि ऋतुओं के बदलाब पर आते है।
चैत्र माह शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से प्रारम्भ बसंत नवरात्रि आश्वनी माह में शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा से गुप्त नवरात्रि ओर माघ शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक गुप्त नवरात्रि होती है।
वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने बताया कि दो नवरात्रि को हर कोई जानता है लेकिन दो गुप्त नवरात्रि को हर कोई नहीं जानता।
इस वार आषाढ शुक्ल प्रतिपदा से गुप्त नवरात्रि 06 जुलाई से 15 जुलाई तक रहेगी इस प्रकार नो दिन की जगह 10 दिनों की नवरात्री होंगी।
07 जुलाई को पूरे दिन रात रविपुष्य योग रहेगा।
जैन ने कहा गुप्त नवरात्रि में साधना को गुप्त रखा जाता है साधना को प्रकट रूप में उतना फल नहीं जितना गुप्त रूप से गुप्त नवरात्रि में मंत्र जप, साधना सात्विक रूप से रहकर करने से मिलता है। जितना गुप्त साधना होगी उतनी ही सिद्धि, मनोकामना की पूर्ति होती है इनमे मंत्र जप मानसिक ही करना चाहिए।
इस बार तृतीय तिथि की वृद्धि होने के कारण गुप्त नवरात्रि नो की जगह दश दिन की है ऐसे में साधना का पूर्ण फल प्राप्त होता
है।
घाट स्थापना मुहूर्त :- 06 जुलाई शनिवार सुबह 07:14 से 08:57 बजे तक शुभ की बेला में दुसरा अभिजीत मुहूर्त 11:53 बजे से 12:48 बजे तक है।
इस बार शनिवार होने से घोड़े की सबारी पर विराजमान होकर माता रानी आएगी। इस से अति वर्षा, भूस्खलन ,बाढ़ से हानि के योग है।
गुप्त नवरात्रि में जरूर करें ये साधारण उपाय
1. सुबह-शाम दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए।
2. दोनों वक्त लौंग और बताशे का भोग लगाएं।
3. माता को लाल फूल चढ़ाएं।
4. मां का मंत्र पढ़कर ध्यान लगाएं।
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