देवउठनी एकादशी को ध्यान में रखकर कलेक्टर श्रीमती चौहान ने जारी किया आदेश
बाल विवाह कराने वालों को दो वर्ष के कारावास व एक लाख रूपए के दण्ड का प्रावधान
ग्वालियर / देवउठनी एकादशी सहित अन्य तिथियों में होने वाले सामूहिक विवाह सम्मेलनों एवं एकल वैवाहिक कार्यक्रम में बाल विवाह पर विशेष निगाह रखी जायेगी। कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्रीमती रुचिका चौहान ने बाल विवाह रोकने के लिये उड़नदस्तों का गठन किया गया है। ये उड़नदस्ते बाल विवाह पर कड़ी निगरानी रखेंगे। साथ ही बाल विवाह करने व कराने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी करेंगे।
ज्ञात हो बाल विवाह अधिनियम 2006 के अनुसार बाल विवाह कराने वाले एवं सहयोग करने वाले व्यक्तियों व संस्थाओं के सदस्यों को दो वर्ष तक का कारावास, एक लाख रूपए तक का जुर्माना अथवा दोनों सजाएं देने का प्रावधान है।
संबंधित एसडीएम की अध्यक्षता में विकासखंड स्तरीय उड़नदस्ता दल गठित किए गए हैं। इन दलों में एसडीओपी/सीएसपी, तहसीलदार, बाल विकास परियोजना अधिकारी व पर्यवेक्षक को इन दलों में शामिल किया गया है। इसी प्रकार ग्राम स्तर पर गठित उड़नदस्ते में विद्यालय के प्राचार्य, ग्राम पंचायत सरपंच व सचिव, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व आशा कार्यकर्ता, स्व-सहायता समूहों की दीदियाँ एवं संबंधित थाने के बीट प्रभारी शामिल किए गए हैं।
बाल विवाह होने पर सेवा प्रदाता भी दोषी माने जायेंगे
जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास श्री धीरेन्द्र सिंह जादौन ने बताया कि सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन कराने वाली संस्थाओं से भी कहा गया है कि वे अपने आयोजन में वर-वधु के आयु संबंधी प्रमाण-पत्रों की भलीभाँति जाँच कर लें और अपने सम्मेलन में बाल विवाह न होने दें। इसी प्रकार प्रिंटिंग प्रेस, हलवाई, कैटर्स, धर्मगुरू, समाज के मुखिया, बैंड वाले, ट्रांसपोर्टर्स आदि से भी अपील की गई है कि वे आयु संबंधी प्रमाण-पत्र का परीक्षण करने के उपरांत ही अपनी सेवायें प्रदान करें। यदि कहीं पर बाल विवाह होना प्रमाणित पाया गया तो विवाह सम्पन्न कराने वाले सभी सेवा प्रदाता भी बाल विवाह के दोषी माने जायेंगे।
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