सूर्य के रथ खींचने लगे खर , नहीं होंगे विवाह आदि शुभ कार्य

 

भारतीय संस्कृति प्रकृति के साथ ऋतुओं के साथ जुड़ी हुई गुथी हुई हैं। इस वजह से व्यवहारिक कार्यों को त्यौहार, मुहूर्तों से करने के विधान शास्त्रों में निहित है।

ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने बताया कि खर मास साल में दो बार आता है । जब जब सूर्य  गुरु की राशि में धनु और मीन में गोचर करते हैं वह अवधि को खरमास के नाम से जाना जाता है। खरमास की अवधि 30 दिन की होती है धनु खरमास  और मीन खर मास प्रारंभ हो चुका I   

धनु खरमास 15 दिसंबर की रात्रि 22:09 बजे से सूर्य ने धनु राशि में प्रवेश किया है यह 14 जनवरी को प्रातः 8:00 बज कर 54 मिनट तक रहेगा  धनु राशि में रहने से सौर पौष धनु खरमास रहेगा।  

 सूर्य देव के रथ को निरंतर सात घोड़ों द्वारा खींचा जाता है। लगातार घोड़े का रथ में चलने से घोड़े को थकान हो जाती है और उनको थोड़ा विश्राम के लिए छोड़ दिया जाता है ।इस अवधि में सूर्य का रथ लगातार चलने के कारण उसमें खर यानी गधों को रथ में जोत दिया जाता है यह 30 दिन तक खर यानी गधे रथ को धीमी गति से  खींचते हैं इस  वजह से खरमास में सूर्य का तेज कम हो जाता है सूर्य की  चाल काफी ज्यादा धीमी हो जाती है  इसलिए खरमास में शादी विवाह गृह प्रवेश देव प्रतिष्ठा मुंडन  आदि शुभ, मंगल कार्य को शास्त्रों के अनुसार वर्जित रखा जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस अवधि में शुभ मंगल कार्यों के करने से उनका सुख उनका  पूरा फल नहीं मिल पाता इसलिए इस समय धार्मिक कार्य  आदि करना चाहिए।

जैन ने बताया खरमास और मलमास में अंतर होता है खरमास सूर्य के धुन और मीन राशि में प्रवेश करने से हर वर्ष में दो बार आता है जबकि मलमास 3 वर्ष में एक बार आता है। 

 चंद्रमा को पृथ्वी के 12 चक्कर लगाने में 355 दिन का समय लगता है पृथ्वी को सूर्य का चक्कर लगाने में 365 दिन का समय लगता है इस तरह हर साल चंद्र वर्ष और सूर्य वर्ष में लगभग 10 दोनों का अंतर आ जाता है इसी अंतर को दूर करने के लिए अधिक मास या पुरुषोत्तम मास की व्यवस्था की गई है ताकि व्रत, त्यौहार निश्चित ऋतु में मनाई जा सके अगर ऐसा ना हो तो सभी  त्योहारों के और रितु परिवर्तन समय में काफी अंतर आ सकता है।

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